इंग्लैण्ड के पादरी सी.एफ .एन्डूज को मनुष्य की सेवा में ही अपने धर्म की सार्थकता और ईश्वर की भक्ति प्रतीत होती थी।
वे अधिक दुखी क्षेत्र को अपना कार्य क्षेत्र बनाना चाहते थे, इसके लिए उन्हें भारत सबसे उपयुक्त लगा। वे इस देश के शोषण दारिद्रय और भटकाव के सम्बन्ध में आवश्यक जानकारी प्राप्त कर चुके थे। उनने भारत को अपना सेवा क्षेत्र चुना।
पादरी का सुविधा सम्पन्न और सम्मान पद उनने छोड़ दिया। वे भारत की बहुमुखी सेवाओं में आजन्म लगे रहे। उनने गाँधी जी के साथ रह कर राजनीतिक क्षेत्र का भी बड़ा काम किया।
बदले समय ने उन्हें शिक्षक बनाया। किन्तु विद्यालय की लघुतर सीमाएँ उन्हें बाँध न सकीं। सारा विश्व समुदाय उनकी शिक्षण स्थली बना और लोक मानस बना विद्यार्थी। वसुधा ने उन्हें स्वामी रामतीर्थ के रूप में जाना। नामावली के शब्द इधर से उधर हो गए किन्तु समाज आराधना का संकल्प और भी दृढ़, दृढ़तम होता चला गया। अनगिनत व्यक्तियों को उनने विज्ञान व अध्यात्म के समन्वयात्मक प्रतिपादन प्रस्तुत कर जीवनदर्शन सिखाया। कहाँ हैं आज ऐसे लोक शिक्षक? उन्हीं को तो खोज रहा है महाकाल!