सर्वम् अश्वमेधः

November 1992

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शत. 13/3/9/4

शतपथ ब्राह्मण में समस्त कामनाओं की पूर्ति के लिए “प्रजापति “ द्वारा अश्वमेध यज्ञानुष्ठान किए जाने का विवरण इस प्रकार है-

“प्रजापतिरकामयत। सर्वान्कामानाप्नुया 14 सर्वाव्यष्टीर्व्यश्नुवीयेति सऽएतमश्वमेध त्रिरातं यज्ञक्रतुमपश्चत्तमाहरत्तेनायजत तेनेष्ट्वा सवर्वानकामानाप्नोत्सर्वा व्यष्टीर्व्याश्नुत सर्वान्ह वै कामानाप्नोति सर्वाव्यष्टीर्व्यश्नुते योऽश्वमेधेन यजते।” -शत. 13/4/9/9

प्रजापति ने इच्छा की कि मेरी सभी कामनायें पूरी हो जायें, मुझे सभी पदार्थ मिले। उसने इस त्रिरात्र (जीन रात वाले) यज्ञक्रतु, अश्वमेध को देखा। उसको ले आया। उससे यज्ञ किया। इस यज्ञ को करके सब कामनाओं को पूरा किया। सब पदार्थों को प्राप्त किया। जो अश्वमेध यज्ञ करता है, उसकी सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। वह सभी पदार्थों को प्राप्त किया। जो अश्वमेध यज्ञ करता है, उसकी सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। वह सभी पदार्थों को प्राप्त कर लेता है।


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