VigyapanSuchana

December 1988

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- यदि आपने अखण्ड - ज्योति की विचारधारा को पसन्द किया है?

- यदि आप अखण्ड - ज्योति के माध्यम से चलने वाले क्रिया–कलापों को अग्रगामी बनाना चाहते हैं?

- तो इतना अनुग्रह और करें कि उसे अधिक व्यापक क्षेत्र में सेवा कार्य करने, और अधिक व्यक्तियों तक पहुँचाने का अवसर प्रदान करें। यह सब आपके थोड़े प्रयत्नों से ही संभव हो सकता हैं।

- अपने मित्रों की टोली बनाकर निकलें और सन् 89 के लिए अधिक संख्या में नये ग्राहक बनायें। पुराने ग्राहकों को चन्दा भेजने का स्मरण दिलायें।

वर्ष 52 संस्थापक - वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य दिसम्बर 1988 अंक 12 वार्षिक चन्दा 25 आजीवन 250 विदेश में 200


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