सफलता की कुँजी

August 1940

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डरो मत। श्रद्धा करो। दुःख और आपत्ति की छाया से घिरने पर भी मत डरो। तुम अविनाशी परमात्मा के पुत्र हो। वह दिव्य अखंड ज्योति तुम्हारे अंधकार को नष्ट कर देगी। धीर बनो। तुम्हारे भीतर वह शक्ति है जो तुम्हें प्रत्येक परिस्थिति का मालिक बना देगी। उच्च विचारों का आवाहन करो। हृदय को वीर, हाथ को बलवान और इच्छा को अचल बनाओ। सत् चित् और आनंद की प्राप्ति के लिए अपनी शक्ति में श्रद्धा करो। सब में जीवन और स्फूर्ति का संचार करो। धैर्य आशा और दृढ़ निश्चय को धारण करो। जिम्मेदारियों को सिर पर लोगे, बल और साहस दिखाओगे तो निश्चय ही तुम्हें सफलता प्राप्त होगी।


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