आलस्य, अवगुणों का बाप, दरिद्रता की माता, रोगों की धाय और जीवित आदमी की कब्र है।
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कोई कुकर्म तुमसे बन पड़ा है, उसका पछतावा तब तक व्यर्थ है-जब तक कि यह प्रण न कर लो कि फिर ऐसा काम न करोगे।
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गिरे हुए को उठाओ। गिरते हुए को संभालो। पर धक्का किसी को मत दो। सोचो, यदि कोई तुम्हें धक्का देने लगे तो तुम्हारा हृदय उसे कैसा अभिशाप देता है, वैसे ही उसका भी देगा।
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परमात्मा में विश्वास न होने से ही विपत्तियों का, विषयों के नाश का और मृत्यु का भय रहता है। जिनका उस भय हारी भगवान में भरोसा है, वह सदा निर्भय है।