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August 1940

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चुप रहना योग्यता की मुहर है। जिसके पेट में भेद न रह सके वह रद्दी चिथड़ा है। कीमती चीजें कीमती तिजोरियों में रहती हैं।

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आवेश में आकर कोई काम मत करो। ताव में मनुष्य आपे में नहीं रहता फिर अपना भला-बुरा कैसे सोच सकता है ? जब क्रोध काबू से बाहर हो रहा हो तो बुद्धिमानी इसी में है कि उस स्थान से उठकर चले जाओ।


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