मानव−शरीर एक रेडियो रिसीवर की तरह है । अन्य जीवधारियों की तरह वह पदार्थ और प्रकृति में संव्याप्त ऊर्जा तरंगों को महसूस तो नहीं कर पाता; पर उसकी हर कोशिका उस सान्निध्य से प्रभावित होती है