कहाँ-कहाँ से गुजरेंगी अलख जगाने वाली ये यात्राएँ

March 2000

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राष्ट्र जागरण तीर्थयात्राओं के अंतर्गत कुल 14 रथ एक साथ सारे भारत की कुल चौबीस जोनों में भ्रमण कर रहे है। स्थान-स्थान पर इनमें सह यात्राओं जुड़ती चली जा रही है। इन चौदह रथयात्राओं का प्रारूप संक्षेप में नीचे दिया जा रहा है। विशेष जानकारी शांतिकुंज हरिद्वार के महापूर्णाहुति प्रकोष्ठ से ली जा सकती है।

1. बिहार प्राँत- 24 फरवरी से देवघर से आरंभ होकर यह यात्रा पूर्वी सिहंभूमि, पश्चिमी सिहंभूमि गुमलालोहरदगा; राँची बोकारो धनबाद गिरिडीह, कोडरमा, हजारीबाग, चतरा होकर गया में 20 मार्च को बोकारो जोन का समापन करेगी। 21 मार्च को गया से पटना जोन की यात्रा आरंभ होगी जो पूरे मध्य बिहार गंगा के दक्षिण जिलों को स्पर्श कर पटना में 16-17 अप्रैल को विराम करेगी। इसके पश्चात् यही रथयात्रा वैशाली (गाँधी सेतु गंगा के पावन तट) से 19 अप्रैल को मुजफ्फरपुर जोन में प्रवेश करेगी। सभी उत्तर बिहार व नेपाल के जिलों को स्पर्श कर 18 मई को मुजफ्फरपुर में अपनी यात्रा का समापन करेगी। 26 व 27 अप्रैल को भी यह यात्रा मुजफ्फरपुर रहेगी।

2. उत्तरप्रदेश में दो तीर्थयात्राओं एक साथ चलेगी। पहली आंवलखेड़ा से 17 फरवरी को आरंभ होकर हाथरस, अलीगढ़, इटावा, झाँसी आदि होकर मध्यप्रदेश के दतिया, ग्वालियर, भिंड, मुरैना ताि राजस्थान के धौलपुर, करौली, अलवर, भरतपुर होकर आगरा से उ.प्र में पुनः प्रवेश करेगी। 18 से 19 मार्च मथुरा का सघन मंथन कर यह फरीदाबाद होकर दिल्ली 3 से 7 अप्रैल रहेगी। तत्पश्चात हरियाणा व पंजाब का मंथन करती हुई यह 18 अप्रैल को जम्मू में प्रवेश कर जाएगी। वहाँ से हिमाचल प्रदेश को पूरा स्पर्श कर यह मई माह में 2 छोटी उपतीर्थयात्राओं से, जो कुमायुँ व गढ़वाल का मथन कर आएँगी-देहरादून में मिलकर हरिद्वार में समापन करेगी।

तीसरी यात्रा शांतिकुंज से 17 फरवरी को आरंभ होकर मुरादाबाद, बरेली, शाहपूर, तराई के सभी जिलों, कानपुर, लखनऊ, सुल्तानपुर सहित पूरा मध्य व पूर्वी उ.प्र. नेपाल से सभी लगे जिले स्पर्श कर 14 मई को वाराणसी में समापन करेगी।

3. चौथी तीर्थयात्रा राजस्थान व पश्चिमी मध्यप्रदेश के उज्जैन जोन की मिलीजुली है। यह राजसंमद (नाथद्वार) से 18 फरवरी को आरंभ हुई है। मेवाड़ व बागड़ क्षेत्र होकर यह पाली से पश्चिमी राजस्थान के जिलों को स्पर्श कर नागौर 18 मार्च को पहुँचेगी। होगी अवकाश के बाद पश्चिम के गंगानगर, बीकानेर, चुरु क्षेत्र से यह अजमेर होकर 2 से 4 अप्रैल की अवधि में जयपुर रहेगी। हाड़ौती क्षेत्र के सभी जिलों में होकर झालावाड़ से यह नीमच में म.प्र. में प्रवेश करेगी। मंदसौर, रतलाल, धार, झाबुआ, बड़वानी, खरंगाना, खण्डवा, हरता, इंदौर, देवास होकर 17 मई को इसका समापन महाकाल की नगरी उज्जैन में होगा।

4. पांचवीं यात्रा भोपाल से आरंभ होकर पूरे जोन व जबलपुर जोन को स्पर्श करती हुई बालाघाट में समापन कर रही है।

5. छठी यात्रा राजनाँदगाँव (म.प्र.) के डोंगरगढ़ बमलेश्वरी देवी से 20 फरवरी को आरंभ होकर पूरे छत्तीसगढ़ को छूती हुई दंतेवाड़ा-दंतेश्वरी पर समापन करेगी।

6. सातवीं तीर्थयात्रा महाराष्ट्र के नागपुर से गाँव, सेगाँव से औरंगाबाद एवं लातूर-उस्मानाबाद होकर मुबादेवी मंदिर मुंबई में मई में समापन करेगी।

7. आठवीं तीर्थयात्रा गुजरात के सोमनाथ मंदिर से 17 मई को आरंभ होकर पालिताणा (जैन तीर्थ) में समापन कर रही है।

8. नवी तीर्थयात्रा गुजरात की द्वारिकापुरी से आरंभ होकर कच्छ के कोटेश्वर महादेव (भारत-पाकिस्तान सीमा) तक चलेगी। मार्ग में आठवीं यात्रा से बचा सौराष्ट्र व पूरा कच्छ गहन मंथन करती चलेगी।

9. दसवीं तीर्थयात्रा अंबाजी (बनासकाँठा, जिला गुजरात) राजस्थान सीमा से आरंभ होकर डाकोरजी के पावन रणछोड मंदिर पर समापन करेगी।

10. ग्यारहवीं तीर्थयात्रा शामलाजी (साबरकाँठा जिला, गुजरात) से आरंभ होकर पावागए पावन तीर्थ से समापन करेगी।

11. बारहवीं तीर्थयात्रा तीथल तीर्थ (समुद्रतट-बलसाडत्र) से आरंभ होकर कयावरोहण तीर्थ (बड़ौदा गुजरात) में समापन करेगी।

12. तेरहवीं व चौदहवीं रथयात्राएँ मार्च मध्य से आरंभ हो रही है व ये क्रमश प. बंगाल व उड़ीसा तथा दक्षिण भारत के चारों प्रांतों को 2 माह में भ्रमण कर जन-जन को संस्कारित करेंगी।

प्रस्तुत तीर्थयात्राओं के रुट से लेकर सभी आवश्यक सभी जानकारियां महापूर्णाहुति प्रकोष्ठ में उपलब्ध है। अपनी यात्रा में वे मुख्य मार्गों, शक्तिपीठों, प्रज्ञासंस्थानों अन्य प्रमुख तीर्थों, देवस्थलों एवं सार्वजनिक संगठनों के प्रमुख केंद्रों को छूती हुई चलेगी। सभरी को महापूर्णाहुति के सृजनकल्प विभूति महायज्ञ में भागीदारी का आमंत्रण देंगी एवं सभी स्थानों से पावन प्रतीक ग्रहण करती हुई वे चलेगी। सभी तीर्थयात्राओं के साथ एक प्रदर्शनी भी चल रही है जो ठहराव के स्थान पर दस मिनट में लगा दी जाएगी। इसमें इस तीर्थयात्रा का विराट् स्वरूप, महापूर्णाहुति की रूपरेखा व गायत्रीतीर्थ के भावी दस वर्षों के कार्यक्रमों की सचित्र जानकारी है।


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