सेठ जमनालाल बजाज करोड़पति बच्छराम जी की गोद आये। उन्हें जो धन मिला उसका अधिकाँश भाग गाँधीजी की राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगा दिया। इसे कहते हैं - उत्तराधिकार का सुनियोजन।
धन बच्चों को देकर उपभोग की अपेक्षा यही श्रेष्ठ है कि उसे किसी अच्छे काम में लगा दिया जाय। यह एक प्रकार से देव ऋण चुकाना ही हैं।