उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मी दैवेन देयमिति कापुरुषा वदन्ति। दैवं निहत्स कुरु पौरुषमात्म शक्तया यत्ने कृते यदि न सिद्धयति कोऽत्रदोषः॥
-सिंह के समान उद्योग करने वाले पुरुष को लक्ष्मी स्वयं प्राप्त होती है। भाग्य से सब कुछ प्राप्त होता है ऐसी बात कायर (अकर्मण्य) पुरुष कहा करते हैं। इसलिये भाग्य, विश्वास का त्याग कर अपनी पूर्ण शक्ति से पुरुषार्थ करना चाहिए। पूर्ण प्रयत्न करने पर भी कार्य सिद्धि न हो तो यह विचारना चाहिये कि हमारे यत्न में क्या दोष (त्रुटि) है और पुनः प्रयत्न करें।