मनुष्य की श्रेष्ठता इस बात में है कि वह अपने चारों ओर शान्ति और प्रफुल्लता का आनन्दमय वातावरण उत्पन्न करे। यह कार्य वह तभी कर सकता है जब अपने दृष्टिकोण में उदारता एवं सज्जनता और कर्त्तव्य में पुरुषार्थ एवं सदाचार का समन्वय रखे।
-याज्ञवल्क्य