“फलासक्ति छोड़ो और काम करो” “आशा रहित होकर कर्म करो” “निष्काम होकर कर्म कर” यह गीता की वह ध्वनि है जो भुलायी नहीं जा सकती। जो कर्म छोड़ता है वह गिरता है। कर्म करते हुए भी जो उसका फल छोड़ता है वह चढ़ता है।
-महात्मा गाँधी