तुम जहाँ भी हो, वहीं पूरी तरह डटो। चित्त को हाथ के काम में रस लेने के लिए मनाओ । जो काम सामने है उसी पर अपना सारा ध्यान केन्द्रित कर दो। उसे अधूरा मत छोड़ो। जिस उत्साह से आरम्भ किया था उसे अन्त तक बनाये रहो। परिणाम जो भी हो काम में ईमानदारी सावधानी और सुरुचि का ऐसा समावेश करो कि वह तुम्हारी प्रतिष्ठा में चार-चाँद लगा सके। इस प्रकार की गई कर्म देवता की उपासना किसी को भी विश्वस्त और प्रगतिशील बनाने का वरदान देती है।
-स्वेट माईन