बच्चों से कोई उत्तर न बन पड़ा तो उन्होंने उसकी बराबर एक बड़ी लकीर खींच दी और कहा-लो अब यह छोटी हो गई। इसके बाद उन्होंने बड़ी को मिटा कर उसके स्थान पर छोटी लकीर खींच दी और कहा देखो कुछ समय पहले जो छोटी थी वह बड़ी हो गई।
लकीरों का उदाहरण देते हुए उन्होंने बच्चों को समझाया यदि तुम किसी से बड़े बनना चाहते हो तो उसे मिटाने की जरूरत नहीं है। अपने को उससे अधिक श्रेष्ठ बनाओ स्वयं ही बढ़ जाओगे किन्तु यदि पिछड़े रहे तो सामने वाले के कारण नहीं-अपनी ही क्षुद्रता की वजह से छोटे और घटिया दिखाई दोगे।