गायत्री विद्या के अमूल्य ग्रंथ−रत्न

October 1962

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1—गायत्री महाविज्ञान (तीन भाग) मू. 10॥)

प्रथम भाग— इसमें गायत्री विद्या का वैज्ञानिक आधार, शंकाओं का समाधान, गायत्री उपासना से कष्ट निवारण, आत्मसाक्षात्कार और ऋद्धि−सिद्धि का मार्ग आदि अनेक महत्त्वपूर्ण विषयों का प्रतिपादन किया गया है। मू.3॥)

द्वितीय भाग— इसमें मुख्यतया गायत्री की वाममार्गी तांत्रिक साधना के अनुसार मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, मुद्रा आदि विधानों का वर्णन किया गया है। गायत्री संबंधी कई महत्त्वपूर्ण रचनाएँ भी प्राचीन शास्त्रों से दी गई हैं। मू.3॥)

तृतीय भाग— इसमें गायत्री द्वारा 24 प्रकार के योगाभ्यासों की साधना बतलाई गई है, जैसे जपयोग, प्राणयोग, शब्दयोग, कुण्डलिनी योग आदि। पंचकोशों को सिद्ध करने का मार्ग दिग्दर्शन भी किया गया है। मू. 3॥)

2−गायत्री यज्ञविधान (दो भाग) 4)

प्रथम भाग— इसमें गायत्री यज्ञ का विज्ञान, लाभ और महत्त्व शास्त्रीय दृष्टि से भली प्रकार समझाए गए हैं। मू. 2)

द्वितीय भाग— गायत्री यज्ञ करने की शास्त्रीय विधि, क्रिया, जलयात्रा, मंडप प्रवेश, वेदीपूजन, अग्निपूजन, पूर्णाहुति आदि समस्त विधान बड़े स्पष्ट रूप से समझा दिया गया है। मू. 2)

3—गायत्री चित्रावली (दो भाग) 3॥)

प्रथम भाग— विविध प्रयोजनों के लिए ध्यान करने योग्य गायत्री माता के बढ़िया कागज पर छपे 24 तिरंगे चित्र व्याख्या सहित। 1॥)

द्वितीय भाग— गायत्री के 26 अक्षरों संबंधी 26 श्लोक, 26 लेख और 26 आर्ट पेपर पर छपे तिरंगे चित्र। 2)

4—गायत्री ज्ञान−मंदिर सैट की 44 पुस्तकें 11)

यह सैट एक प्रकार का छोटा घरेलू पुस्तकालय है। जिसमें गायत्री महाविद्या की महत्त्वपूर्ण साधनाएँ बतलाई गई हैं और गायत्री के एक−एक अक्षर में सन्निहित आध्यात्मिकता, धार्मिकता तथा मानवता की शिक्षाओं का वर्णन किया गया है। 6 रु.से अधिक की पुस्तकें लेने पर डाकखरच माफ। 5) से कम की वी. पी. नहीं भेजी जाती।

                                                                      पता—अखण्ड ज्योति प्रेस, मथुरा।


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