“जो चेला मूँड़ते फिरते हैं उनको घटिया किस्म का मनुष्य समझना चाहिये। इसी प्रकार जो अपने को सिद्ध पुरुष बतलाते फिरते हैं और अपनी अलौकिक शक्तियों का बखान करते रहते हैं वे भी घटिया आदमी ही होते हैं।”
—राम कृष्ण परमहंस