अष्टग्रही योग के अवसर पर

January 1962

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अष्टग्रही योग अब सन्निकट आ गया उसके संबंध में काफी चर्चा पिछले अंकों में की जा चुकी है। इसके अशुभ परिणामों की शान्ति और शुभ परिणामों की अभिवृद्धि के लिए हमें इस अवसर पर अधिक से अधिक सत्कार्य एवं धर्मानुष्ठान करने चाहिए। ता॰ 1 से 9 फरवरी तक नौ दिनों में अष्टग्रही और सप्तग्रही दोनों योग रहेंगे। इन दिनों अखण्ड−ज्योति−परिवार के सभी सदस्य कुछ अधिक गायत्री उपासना करने का शक्तिभर प्रयत्न करें। प्रतिदिन तीन घंटा समय लगा देने से 27 माला प्रतिदिन करते हुए 9 दिन में 24 हजार का एक गायत्री पुरश्चरण हो सकता है। प्रातः सायं दोनों समय मिलाकर तीन घंटे रोज 9 दिन तक लगाते रहना कोई इतनी बड़ी समस्या नहीं है जिसे भावनाशील व्यक्ति हल न कर सके। यदि कार्य की उपयोगिता समझी जा सके तो इतना समय बहुत ही आसानी से निकल सकता है। नवरात्रि में नौ दिन तक अनुष्ठान करने के हम में से अनेकों अभ्यस्त हैं। उसके नियम गत अक्टूबर अंक में छपे ही थे। इन नियमों के आधार पर बड़ी आसानी से यह नौ दिन की साधना की जा सकती है। अन्तिम दिन 240 आहुतियों का हवन कर लेना चाहिए।

अनुष्ठान करने वाले यदि अपनी साधना की सूचना मथुरा भेज देंगे तो उनकी साधना में रही हुई त्रुटियों का दोष-परिमार्जन एवं संरक्षण यहाँ किया जाता रहेगा।

जो इतना न कर सकें वे कम भी कर सकते हैं। 11 माला प्रतिदिन जपने से 9 दिन में 108 मालाऐं हो सकती हैं। इसमें प्रतिदिन करीब 1 घंटा लगेगा। गायत्री चालीसा पाठ, गायत्री मंत्र लेखन, गायत्री सहस्र नाम पाठ आदि उपासनाऐं भी उत्तम हैं। भजन, कीर्तन एवं रामायण गीता आदि के पाठ भी जिनसे बन पड़े करें। इसी प्रकार और भी उपासनात्मक कार्यक्रम बनाये जा सकते हैं। जिससे जितना बन पड़े कुछ न कुछ करना अवश्य चाहिए।

मकर और कुंभ राशि के लिए यह योग कुछ अधिक अशुभ हैं। उन्हें तो शान्ति की साधना अवश्य ही करनी चाहिए।

जहाँ सुविधा हो वहाँ मिल−जुलकर सामूहिक गायत्री अनुष्ठान किये जाएँ और अन्त में हवन सब का सम्मिलित हो। ऐसे छोटे−छोटे आयोजन हर जगह बड़ी आसानी से हो सकते हैं। अलग−अलग साधना की अपेक्षा सामूहिक धर्मानुष्ठानों का महत्व कहीं अधिक है।

ज्ञान−दान आवश्यक है

जप, हवन के अतिरिक्त ऐसे समय में कुछ दान भी प्रत्येक धर्म प्रेमी को करना चाहिए। दानों में ज्ञान−दान सर्वश्रेष्ठ है। पंचकोशों की गायत्री उपासना वाला अखंड−ज्योति का अक्टूबर अंक इसके लिए सर्वश्रेष्ठ है। उसमें अष्टग्रही योग की विवेचना का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण लेख भी है। अंक की पृष्ठ संख्या साधारण अंक से बहुत अधिक होने के कारण उसकी लागत सात आने के करीब आई है फिर भी धर्मप्रचार की दृष्टि से उसका मूल्य चार आना ही रखा गया है। प्रत्येक गायत्री उपासक के पास इसका रहना आवश्यक है। अष्टग्रही के अवसर पर व्यक्तिगत साधना करने वाले तथा सामूहिक आयोजन करने वाले सज्जन इस अक्टूबर अंक की अधिक प्रतियाँ मँगाकर धर्मप्रेमियों को दान करें। गायत्री चालीसा, गायत्री माता के चित्र तथा दो−दो आने मूल्य की दस पुस्तकों का सवा रुपये वाला सस्ता गायत्री सैट भी इस उद्देश्य के लिए बहुत उपयुक्त है। जप और हवन करने वाले ज्ञान−दान का सच्चा ब्रह्मभोज भी इस अवसर पर अवश्य करें। अनुष्ठानों के अन्त में कन्या भोजन भी कराये जावें।

गायत्री तपोभूमि में

गायत्री तपोभूमि में इस अवसर पर कोई बड़ा आयोजन नहीं किया जा रहा हैं। पर एक छोटा शान्ति अनुष्ठान यहाँ भी चलेगा। नवग्रहों की शान्ति के जप, और महामृत्युञ्जय का जप पंडितों द्वारा प्रतिदिन होता रहेगा। तपोभूमि की तीन यज्ञ शालाओं में से एक नवग्रह यज्ञ और दूसरी में महामृत्युञ्जय यज्ञ नौ दिन तक होगा। प्रधान यज्ञशाला में गायत्री यज्ञ होता ही है। तपोभूमि की युग−निर्माण योजना का शुभारंभ एवं बारह वर्ष बाद आने वाले वृन्दावन का प्रथम स्नान भी वसन्त पंचमी को ही रहेगा। फिर भी यहाँ किसी बड़े सम्मेलन या आयोजन की योजना नहीं है। फिर भी संभवतः कुछ लोग अपना सुरक्षात्मक जप अनुष्ठान करने तपोभूमि में आना चाहेंगे। ऐसे लोगों से प्रार्थना है कि अपने आने की पूर्व सूचना दे दें ताकि उन्हें ठहरने आदि की असुविधा न हो ।

यज्ञ एवं सम्मेलन

गत तीन महीनों में अष्टग्रही योग की शान्ति एवं युग−निर्माण शुभारंभ के लिए देश भर में सहस्रों गायत्री यज्ञ बड़े उत्साहपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हो चुके हैं। आगामी दो महीनों में भी कितने ही आयोजन विभिन्न स्थानों पर होने जा रहे हैं। उनमें कुछ की तारीखें नीचे दी जा रही हैं। इन सब शुभ आयोजनों में सम्मिलित होने एवं सहयोग देने का शक्ति भर प्रयत्न करना चाहिए।

(1) साधनाश्रम कोटा में 108 कुण्डों का गायत्री महायज्ञ ता॰ 6,7,8,9 फरवरी को होगा। उसके यज्ञ का सामूहिक 24 करोड़ का जप संकल्प पूरा करने के लिए श्री शंभूसिंह जी कौशिक दौरा कर रहे हैं।

(2) गायत्री−परिवार बिलासपुर के तत्वावधान में 51 कुण्डों का गायत्री महायज्ञ मार्च के दूसरे सप्ताह में होगा। सामूहिक जप संकल्प की पूर्ति के लिए श्री गिरजासहाय व्यास दौरा कर रहे हैं।

(3) संस्कृति संस्थान, बरेली ने संयुक्त प्रान्त में 24 करोड़ सामूहिक जप एवं अधिकाधिक यज्ञानुष्ठान कराने का संकल्प किया है। श्री॰ चमनलाल गौतम इसके लिए दौरा कर रहे हैं। आचार्य जी द्वारा सम्पादित 108 उपनिषदों के प्रकाशित हो जाने का हर्षोत्सव एवं सामूहिक यज्ञ मार्च के अन्त में होगा।

(4)गायत्री−परिवार,जयपुर की ओर से एक विशाल गायत्री यज्ञ शिवरात्रि पर सम्पन्न होगा। श्री॰ चन्द्रमुखी रस्तोगी सामूहिक जप की पूर्ति के लिए घर−घर जाकर प्रेरणा दे रही हैं।

(5) जाखल (जयपुर) में एक बड़ा गायत्री यज्ञ ता॰ 5,6,7,8 जनवरी को होगा। श्री इन्द्रसिंह शेखावत उसे सफल बनाने के लिए विशेष प्रयत्न कर रहे हैं।

(6) गायत्री−परिवार, जोधपुर के तत्वावधान में 9 कुण्ड का गायत्री महायज्ञ ता. 1 से 9 फरवरी तक होगा। प्रबंध एवं स्वागत समिति में 34 सज्जन चुने गये हैं।

(7) हरदी (बिलासपुर) में 11 कुण्डों का गायत्री महायज्ञ ता. 15 से 20 जनवरी तक होगा।

(8) बहरायच में गत 17 से 20 नवम्बर तक जो 108 कुण्डों का विशाल यज्ञ हुआ था उसके बाद वहाँ के गायत्री−परिवार ने निकटवर्ती क्षेत्र में 108 कुण्डों के यज्ञ कराने का कार्यक्रम बनाया है जो सफलतापूर्वक चल रहा है।

(9) ग्वालियर, झाँसी, डबरा, भिण्ड, जावरा, आगर, नागपुर, लीविया, दिगोंड़ा आदि अनेक स्थानों पर यज्ञों की तैयारियाँ जोरों से हो रही हैं।


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