“जिस प्रकार आकाश में ऊँचा उड़ते हुये भी गिद्ध की दृष्टि पृथ्वी पर पड़े हुये माँस के टुकड़े की तरफ रहती है उसी प्रकार शास्त्र पढ़े हुये पंडित अत्यन्त उच्च ज्ञान की बातें कहते रहते हैं पर उनका मन तो साँसारिक दाल, भात, पकवान, सुन्दर वस्त्र, धन, मान आदि में ही लगा रहता है।”