“घोड़ा की दोनों आँखों के सामने ‘अँधेरी’ पहिनाये बिना उसे चलाया नहीं जा सकता। षडरिपु (काम, क्रोध आदि) को भी ऐसा ही समझना चाहिये। उनको वश में किये बिना मन रूपी घोड़ा ईश्वर की दिशा में अग्रसर नहीं हो सकता।”
—रामकृष्ण परमहंस