लापरवाही एक प्रकार की आत्महत्या है

November 1961

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समय का मूल्य संसार की प्रत्येक कीमती चीज से अधिक है। हर खोई हुई चीज मिल सकती है पर समय गवाँ देने के बाद उसका लौटना किसी भी प्रकार संभव नहीं। जो अवसर चूक गया उसके लिए पछताने और हाथ मलने के लिए सिवाय और कुछ शेष नहीं रहता है वे न तो आलस के गुलाम बनते है और न प्रसाद में अपना समय गुजारते है।

आज का काम आज,अब का काम अब करने की आदत ही किसी मनुष्य को उसके ईश्वर प्रदत्त सुख सौभाग्य से लाभान्वित कर सकती है। आलसी और लापरवाह लोग एक प्रकार के भाग्यहीन ही है जो ईश्वर के द्वारा प्रतिक्षण बरसने वाली कृपा को समेटने में हिचकिचाते रहते है। आलस का अर्थ है अपने भाग्य का तिरस्कार करना। लापरवाही का अर्थ है ईश्वर प्रदत्त स्वर्ण सुयोग्यों को ठुकराना। समय को टालने की आदत एक अभिशाप ही है जिसका परिणाम अन्ततः बहुत ही दुःखद होता है।

कर्नल राहल ताश खेल रहा था। सन्देश वाहम ने वाशिंगटन की सेना रवाना होने का पत्र लाकर दिया पर वह खेल में इतना तल्लीन था कि पत्र को बिना पढ़े ही जेब में रख लिया और ताश खेलता रहा। खेल समाप्त होने पर पत्र पढ़ा और लड़ाई की तैयारी की। कीमती वक्त गुजर चुका था। दुश्मन की सेना पास आ गई। वे कैद कर लिये गये और मौत के घाट उतार दिये गये। कुछ मिनटों का ही अवसर जान ही नहीं देश की स्वाधीनता और शान भी गँवानी पड़ी।

पुराने समय में हलकारे ही डाक ले जाते थे। उन दिनों रेल तार तो थे नहीं। डाक की सारी व्यवस्था इन हलकारों पर ही निर्भर रहती थी। उन्हें ठीक समय पर चलने और नियत समय पर पहुँचने का कड़ा आदेश रहता था। इसमें चूक करने पर उन्हें कठोर दंड यहाँ तक कि प्राण दण्ड तक मिलता था। डाक में कोई ऐसे पत्र हो सकते थे। जिनका थोड़े भी विलम्ब से पहुँचना किसी के लिए बहुत हानिकारक सिद्ध हो, इसलिए हलकारे को समय की पाबन्दी की शिक्षा बड़ी कड़ाई के साथ पालन करनी पड़ती थी।

नेपोलियन ने समय का सदा ध्यान रखा। उसकी विजय में समय का समुचित ध्यान रखना एक महत्त्वपूर्ण कारण था। इसमें जब-जब चूक हुई तब उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। ड़ड़ड़ड़ समय पर नहीं पहुँचा। नेपोलियन को उसकी प्रतीक्षा में ठहरना पड़ा। बस इतनी सी चूक में नेपोलियन कैद कर लिया गया और उसे अपनी मौत के दिन सेन्ट हैलेना के बंदीगृह में पूरे करने पड़े।

एक देर से सो कर उठने वाला व्यक्ति अपनी विद्या-बुद्धि की बहुत शेखी मार रहा था। और अपनी चतुरता का वर्णन करते हुए उपस्थित मित्र के मुँह से अपनी प्रशंसा सुनना चाहता था। पर मित्र ने कहा-दोस्त मैं तुम से चार घंटे आगे हूँ। तुम आठ बजे सौ कर उठते हो जब कि मैं चार बजे ही उठकर अपने आवश्यक कामों में लग जाता हूँ। तुम बहुत चतुर होने पर भी जितना काम नहीं कर पाते उससे अधिक मैं समय का सदुपयोग करके पूरा कर लेता हूँ, यद्यपि मैं विधा बुद्धि में तुम्हारे समान होने का दावा नहीं करता।

पीटर दी ग्रेट रूस का सम्राट प्रातःकाल बहुत जल्दी सो कर उठता था और अपने कार्यों में लग जाता था। वह कहा करता था कि मैं अधिक जीवन चाहता हूँ। जीवन को लम्बा बनाना चाहता हूँ इसलिए जल्दी उठता हूँ।

इंग्लैण्ड के उपन्यास सम्राट सरवाल्टर स्काट बड़े तड़के उठते थे और सवेरे का वक्त होने तक उस दिन का प्रायः सारा काम निपटा लेते है।

राष्ट्रपति वाशिंगटन के भोजन का समय संध्याकाल चार बजे था। एकबार उन्होंने भोज दिया और मित्रों को बुलाया। मित्र देर से आये तो वाशिंगटन ने ठीक समय पर भोजन करना आरम्भ कर दिया। मित्र जब पीछे आये तो उनने नम्रता पूर्वक कहा- महाशय मेरा रसोइया नियत समय पर ही भोजन करने को बाध्य करता है वह मेहमानों की प्रतीक्षा में समय नहीं गँवाता।। एकबार उनका सेक्रेटरी देर से पहुँचा। पूछने पर उसने घड़ी का सुस्त होना कारण बताया। वाशिंगटन ने कहा- या तो घड़ी बदलिये या मुझे सेक्रेटरी बदलना पड़ेगा।

लार्डमिन्टो को एक सभा में एड्रेस (मान पत्र) दिया जाना था। सभा का समय एक घंटा रखा गया था। उसी समय में लार्डमिन्टो का भाषण भी होने वाला था। पूर्व वक्ताओं ने उनकी प्रशंसा के पुल बाँधते हुए बहुत सा समय ले लिया। एक घंटा में कुछ ही मिनट शेष था । तब लार्डमिन्टो को भाषण के लिए कहा गया। वे खड़े हुए ओर अपने लिखित भाषण को जेब में रखते हुए कहा-सज्जनों एक घंटा पूरा हो गया। मुझे एड्रेस देने के लिए बुलाया गया था। सो मैं उस काम को पूरा करते हुए विदा होता हूँ। मेरा एड्रेस (पता 49 हार्नव स्ट्रीट है।

अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में एकबार संगीत आयोजन हुआ। उसमें तत्कालीन वायसराय लार्ड कर्जन आमंत्रित किये गये थे। सम्मेलन बीस मिनट का रखा गया था। कर्जन ठीक समय पर आ गये और सम्मेलन आरंभ हुआ। पर संगीत कारों ने वह बीस मिनट अपने बाजों की खूटिया ऐंठने और स्वर मिलाने में ही लगा दिये। समय पूरा हो गया। बायसराय महोदय ने समझा भारतीय संगीत इसी प्रकार खटी ऐंठने को ही कहते होंगे। वे बीस मिनट पूरे होते ही उठ खड़ी हुए और भारतीय संगीत की प्रशंसा में जो शब्द लिखकर लाये थे उन्हें कहकर चले गये।

बुद्धिमानी लोग यह जानते हैं कि जीवन का कितना महत्व और समय का कितना महत्व और समय का कितना मूल्य है। जिस प्रकार समझदार व्यक्ति अपने पैसे को सुरक्षा, मितव्ययिता, सदुपयोग और समाज सम्भाल का समुचित ध्यान रखता है उसी प्रकार जीवन को प्यार करने वाला व्यक्ति भी अपनी आयुष्य का एक एक क्षण सम्भाल कर व्यय करता है।

लापरवाही एक प्रकार का अपराध है। यह एक प्रकार की आत्म हत्या ही है। अपने आपको अपने धन या शरीर को आलस के तेजाब में गला देना लगभग वैसा ही है जैसा कोई मन्द विष खाकर अपनी अंतड़ियों को गला देना। दूसरों के प्रति धोखा, आक्रमण, हिंसा, दुर्व्यवहार, द्वेष आदि अनेक प्रकार के अपराध लोग करते हैं। अपने आपके प्रति वैसा ही अपराध लापरवाही और आलस है। इससे अपना जीवन नष्ट होता है, भविष्य की सभी उज्ज्वल संभावनाएँ समाप्त होती हैं ओर वह दिन तेजी से निकट खिंचता चला आता है जिसे दुर्भाग्य और पतन का दिन कहकर पश्चाताप किया जाता है।


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