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November 1961

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“समय का सदुपयोग न करने से मनुष्य दीन और दुनिया दोनों में कंगाल हो जाता है, इसलिये समय को व्यर्थ मत जाने दो।”

“जहाँ आवश्यकता समाप्त होती है, वहीं से इच्छा और ड़ड़ड़ड़ हमारी प्रकृति को ज्यों ही अपनी आवश्यकता की प्रत्येक वस्तु मिल जाती है, त्यों-ही हम बैठ कर बनावटी अभिलाषाएँ गढ़ने लगते है।”

बृहत् जीवन की श्रेष्ठ इच्छा का नाम ही संकल्प है।”


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