गत सहस्र कुण्डी गायत्री महायज्ञ से पूर्व तपोभूमि में प्राकृतिक चिकित्सा तथा उसकी शिक्षा की आयोजना की गई थी, सभी आवश्यक तैयारियाँ पूर्ण करली गई थी पर उन्हीं दिनों अनायास दैवी प्रेरणा से सहस्र कुण्डी गायत्री महायज्ञ की घोषणा करनी पड़ी और तुरन्त ही उसकी तैयारी में जुट जाना पड़ा तदनुसार वह प्राकृतिक चिकित्सा तथा शिक्षा की योजना स्थगित करनी पड़ी। महायज्ञ पूर्ण होने के बाद 24 हजार कुण्डों का संकल्प हो गया उसकी पूर्ति में लगभग सवा वर्ष लगा। उस युग का वह अभूतपूर्व संकल्प पूर्ण हो जाने पर अब वह अवसर आ गया है कि स्थगित की हुई प्राकृतिक चिकित्सा एवं शिक्षा की योजना को आरम्भ किया जा सके।
आगामी चैत्र सुदी 1 संवत् 2018 के नव वर्षीय शुभ दिन से वह मानव जाति की अत्यन्त महत्व पूर्ण सेवा का कार्य आरम्भ किया जा रहा है। इसमें ऐसे व्यक्ति लिए जावेंगे जो अपने निज के स्वास्थ्य को सुधारने के साथ साथ संसार की सबसे श्रेष्ठ आरोग्य विद्या प्राकृतिक चिकित्सा की शिक्षा भी प्राप्त करना चाहें। अभी प्रारंभ में कठिन कष्ट साध्य, छूत एवं संक्रामक रोगों के ऐसे रोगी नहीं लिए जावेंगे जो अपनी सामान्य शरीर सेवा आप स्वयं न कर सकें। फिलहाल ऐसे लोग प्रवेश किये जावेंगे जिनकी पाचन क्रिया खराब हो चुकी है। भूख नहीं लगती, पेट में नाना प्रकार के उपद्रव खड़े होते रहते हैं, नींद नहीं आती, सिर चकराता रहता है, खून नहीं बनता, दिन दिन कमजोर और पीले पड़ते जाते है, स्वप्नदोष, प्रमेह, पेशाब में पीलापन आदि की शिकायत रहती है। आम कमजोरी के कारण जो लोग धीरे-धीरे मौत के मुँह में सरकते चले जा रहे हैं उन्हें बचाने, भविष्य में वैसी परिस्थिति न आने देने का ही काम हाथ में लिया गया है। दुग्ध कल्प, छाछ कल्प, फल कल्प, जो चिकित्सा,सूर्य चिकित्सा, यज्ञ चिकित्सा आदि आधार पर ऐसा प्रयत्न किया जायेगा कि शरीर भीतरी दुर्बल अंग सशक्त होकर पुनः काम करने लगें और रोगी को नवजीवन प्राप्त होने जैसा आनन्दमय अनुभव होने लगे।
तीन मास का शिक्षा काल रहेगा। इसमें (1) स्वास्थ्य रक्षा विज्ञान, (2) रोगों से छुटकारा पाने की प्राकृतिक क्रिया (3) सूर्य नमस्कार, आसन प्राणायाम, लाठी चलाना आदि व्यायाम तथा (4) जीवन की विभिन्न समस्याओं के सुलझाव इन चारों विषयों पर प्रतिदिन चार क्लास लगा करेंगे। साथ ही शिक्षार्थी के शरीर में जो रोग कष्ट होगा उसके निवारण के लिए उसकी चिकित्सा भी चलती रहेगी। तीन मास में यह शिक्षा और चिकित्सा पूरी होने पर जो छात्र परीक्षा में उत्तीर्ण होंगे उन्हें प्रमाण पत्र भी दिये जावेंगे। यह छात्र स्वयं स्वास्थ्य लाभ करने के उपरान्त अपने क्षेत्र में अन्य रोगियों व चिकित्सा कर सकने में भली प्रकार समर्थ हो सकें ऐसी पूरी आशा की जा सकती है।
चिकित्सा एवं शिक्षा की कोई फीस नहीं है। भोजन भार अपना हर छात्र को स्वयं उठाना होगा प्रारम्भिक शिक्षासत्र आगामी चैत्र नवरात्रि से आरम्भ होगा। इसमें एक दो दिन पूर्व ही शिक्षार्थियों को मथुरा आ जाना चाहिए। प्रवेश बहुत सीमित संख्या में ही होगा इसलिए इच्छुकों को तपोभूमि से विस्तृत नियमावली मंगाकर अपना प्रवेश का शीघ्र ही भेजना चाहिए और प्रवेश कार्य स्वीकृति अभी से प्राप्त कर लेनी चाहिए। देर से आवेदन पत्र आ जाने पर अगले शिक्षा सत्रों के लिए ठहरना होगा क्योंकि सीमित संख्या में ही अभी व्यवस्था हो सकती है।