राम-नाम का अक्षय कोष

March 1957

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(महात्मा गाँधी जी)

राम-नाम सिर्फ कुछ खास आदमियों के लिये नहीं है, वह सब के लिये है। जो राम-नाम लेता है, वह अपने लिये भारी खजाना जमा करता जाता है। और यह तो एक ऐसा खजाना है, जो कभी घटता नहीं। जितना इसमें से निकालो, उतना ही बढ़ता जाता है। इसका अन्त ही नहीं। और जैसा कि उपनिषद् कहता है- ‘पूर्ण में से पूर्ण निकालो, तो पूर्ण ही बाकी रह जाता है,’ वैसे ही राम-नाम है। यह तमाम बीमारियों का एक शर्तिया इलाज है, फिर चाहे वे (बीमारियाँ) शारीरिक हों, मानसिक हों या आध्यात्मिक हों। राम-नाम ईश्वर के कई नामों में से एक है ..... आप राम की जगह कृष्ण कहें या ईश्वर के अनगिनत नामों में से कोई और नाम लें, तो उसमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लड़कपन में अँधेरे में मुझे भूत-प्रेत का डर लगा करता था। मेरी आया ने मुझसे कहा था- ‘अगर तुम राम-नाम लोगे तो तमाम भूत-प्रेत भाग जायेंगे।’ मैं तो बच्चा ही था, लेकिन आया की बात पर मेरी श्रद्धा थी। मैंने उसकी सलाह पर पूरा-पूरा अमल किया। इससे मेरा डर भाग गया। अगर एक बच्चे का यह अनुभव है तो सोचिए कि बड़े आदमियों के बुद्धि और श्रद्धा के साथ राम-नाम लेने से उन्हें कितना फायदा हो सकता है? लेकिन शर्त यह है कि राम-नाम दिल से निकले। क्या बुरे विचार आपके मन में आते हैं? क्या काम या लोभ आपको सताते हैं? यदि ऐसा है तो (इन्हें मिटाने के लिये) राम-नाम जैसा कोई जादू नहीं। ......

फर्ज कीजिये कि आपके मन में यह लालच पैदा होता है बिना मेहनत किये, बेईमानी के तरीके से, आप लाखों कमा लें, लेकिन यदि आपको राम-नाम पर श्रद्धा है तो आप सोचेंगे कि बीबी-बच्चों के लिये आप ऐसी दौलत क्यों इकट्ठी करें जिसे वे शायद उड़ा दें? अच्छे आचरण और अच्छी शिक्षा के रूप में उनके लिये आप ऐसी विरासत क्यों न छोड़ जायं जिससे वह ईमानदारी और मेहनत के साथ अपनी रोटी कमा सकें? आप यह सब सोचते तो हैं, परन्तु कर नहीं पाते। मगर राम-नाम का निरन्तर जप चलता रहे तो एक दिन वह आपके कण्ठ से हृदय तक उतर आयेगा और वह रामबाण चीज साबित होगा। वह आपके सब भ्रम मिटा देगा, आपके झूठे मोह और अज्ञान को छुड़ा देगा, तब आप समझ जायेंगे कि आप कितने पागल थे, जो बाल-बच्चों के लिये करोड़ों की इच्छा करते थे, बजाय इसके कि उन्हें राम-नाम का वह खजाना देते, जिसकी कीमत कोई पा नहीं सकता, जो हमें भटकने नहीं देता, जो मुक्तिदाता है।


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