जो कुछ भी थोड़ा सुख तेरे पास उसे भी त्याग!
जब तक शेष रहेगा तब तक नहीं मिलेगी शान्ति, दूर न हो पायेगी तब तक तेरे मन की भ्रान्ति,
प्राप्त न होगा भाव कुसुम को पावन तुष्टि पराग! जो कुछ भी थोड़ा सुख तेरे पासे उसे भी त्याग!
यह सुख का ही त्याग कहाया गीता में निष्काम, उर का अन्तर्द्वन्द्व स्वयं ही कुरुक्षेत्र संग्राम,
वही कृष्ण बन सका कि जिसने पाया पूर्ण विराग! जो कुछ भी थोड़ा सुख तेरे पास उसे भी त्याग!
पग को बाँधे मोह स्वप्न का और सत्य की प्यास, मधुर प्राप्ति लिप्सा को तज कर ले ले तू संन्यास,
विष न मिलेगा, कभी किसी से मत तू अमृत माँग! जो कुछ भी थोड़ा सुख तेरे पास उसे भी त्याग!