नवरात्रि का गायत्री महापुरश्चरण।

October 1954

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आश्विन सुदी 1 से गायत्री तपोभूमि में गायत्री महापुरश्चरण तथा साँस्कृतिक शिक्षण शिविर का महत्वपूर्ण आयोजन बड़े ही सुव्यवस्थित ढंग से आरम्भ हो गया है। भारतवर्ष के कौने-कौने से धार्मिक प्रवृत्ति के सत्पुरुष इस यज्ञ में सम्मिलित होने के लिये आये हुए हैं। प्रातः 5॥ से 9॥ तक जप तथा यज्ञ 4 घण्टे चलता है। मध्याह्न को 2 से 6 बजे तक साँस्कृतिक शिक्षण शिविर की कक्षाएं चल रही हैं। प्रत्येक व्यक्ति 24 सहस्र का अनुष्ठान और उसका शताँश हवन करेगा। मार्जन, तर्पण आदि की शास्त्रोक्त विधि के अनुसार सब लोग अनुष्ठान कर रहे हैं। शिक्षण शिविर में दी हुई शिक्षाओं को हृदयंगम करने न करने की परीक्षा होंगी और उत्तीर्ण व्यक्तियों को साँस्कृतिक विश्व विद्यापीठ के प्रमाण पत्र दिये जावेंगे। इसी बीच में मथुरा, वृन्दावन, गोकुल, गोवर्धन की तीर्थ यात्रा भी रखी गई है। 10 दिन में यह सूत्र ता0 6 अक्टूबर को समाप्त हो जायेगा। इसका पूरा विवरण अगले अंक में दिया जायेगा। क्योंकि यह अंक तैयार होते समय तक इस पुनीत आयोजन का आरम्भ ही हुआ है।


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