कठिनाइयों से घबराइए मत

October 1954

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(श्री सुरेन्द्र नाथ सक्सेना, उरई)

संसार के प्रत्येक मनुष्य के सामने कुछ न कुछ कठिनाइयाँ होती ही हैं। सोना तपने से उज्ज्वल होता है। ठीक इसी प्रकार मनुष्य भी कठिनाइयों में तपने से महान और शक्तिशाली बनता है। आज तक ऐसा कोई भी महान पुरुष नहीं हुआ जिसके मार्ग को कठिनाइयों ने रोका न हो।

यदि हमारे भाग्याकाश पर कठिनाइयों के काले काले मेघ उमड़ा रहे हैं, तो हमें घबराना नहीं चाहिये। ऐसे समय में अपने मस्तिष्क के सन्तुलन को बिगाड़ लेना, अपने भाग्य का अपने हाथों सत्यानाश करना है। यह स्मरण रखने योग्य वाक्य हैं कि “हम अपने भाग्य के निर्माता हैं।” जैसा हम करेंगे वैसा हमें भोगना भी पड़ेगा। अतः पहली वस्तु यह हैं कि कठिनाइयों को अपने सामने देखकर हम घबरायें नहीं, उनका वीरता के साथ सामना करे। हो सकता है हमारी कठिनाइयाँ ही हमारी उन्नति और सफलता की सीढ़ी बन जायें। नैपोलियन के मार्ग में जब आल्पस पर्वत रुकावट बन कर अड़ गया तो उस धीर वीर पुरुष ने जिस साहस के साथ उसे सेना सहित पार किया, वह इतिहास के पन्नों पर सदैव अमिट रहेगा। दूसरी ओर स्थित शत्रु सेना भी उसकी वीरता देखकर नत मस्तक हो गई। नैपोलियन को विजय भी प्राप्त हुई। किन्तु इसके विरुद्ध यदि वह वीर अपने धैर्य को खो देता तो सम्भवतया उसका नाम आज उतने उत्साह और जोश से नहीं लिया जाता, न उसे सफलता ही मिलती।

इसके बाद की विचारणीय बात है “कठिनाई होने का कारण जानना।” जैसी भी कठिनाई हमें पार करनी हो, उसका कारण जानना अत्यन्त आवश्यक है। मान लीजिए आपके सामने आर्थिक कठिनाई है। रुपये पैसे का अभाव आपकी और आपके परिवार की उन्नति नहीं होने देता। इस कठिनाई का कारण जानिए। या तो आपके परिवार की सदस्य संख्या अधिक है, अथवा खर्च अधिक करने की परिवार वालों की आदत है, या धन कमाने के साधन आपके पास कम हैं, इसके अतिरिक्त और भी कई कारण हो सकते हैं। सदस्य संख्या परिवार की अधिक हैं तो संपत्ति निग्रह का पाठ आप अपने आप सीख लीजिए। खर्चीलेपन की आदत को उसके दुष्परिणाम सोच-सोच कर त्याग दीजिये। यदि आपके पास धन कमाने का साधन न हो तो शरमाइये नहीं, अपने रहन-सहन के स्तर को नीचा करिये, छोटे से छोटे काम को प्रसन्नता के साथ करिये। कोई भी काम मिले चाहे वह खोमचा लगाने, जूते गाँठने का ही क्यों न हो, कर डालिये। आदमी अपने विचारों से महान और नीच होता है। अतः अपने विचार सदैव ऊंचे रखिये। काम चाहे कोई भी क्यों न हो, सदैव पूज्यनीय वस्तु है।

इस प्रकार चाहे कैसी भी कठिनाई क्यों न हो उसका हल हो सकता है, पर इसके लिए शान्त चित्त और विवेक की आवश्यकता है। इनका आश्रय लेकर आप अपनी कठिनाइयों को भी अपनी सफलता का रहस्य बना सकते हैं।

अधिकतर सभी कठिनाइयों के हल हमें अपने में मिल सकते हैं। दुनिया की सभी कठिनाइयाँ मनुष्य की ही बनाई हुई हैं और मनुष्य ही उन्हें दूर भी कर सकता है। बस एक बार थोड़े से चिन्तन की आवश्यकता है। हम अपने दुर्गुणों को जितना ही दूर करेंगे हमारे जीवन में कठिनाइयाँ उतनी ही कम होती जायेंगी। यदि आप मृदुभाषी और व्यवहार कुशल हैं तो आपके मित्र सदैव आपके कल्याण के लिये तत्पर रहेंगे। सभी लोग आपसे प्रेम करेंगे, आपकी कठिनाइयों को दूर करने में सहायता देंगे। इसके विपरीत यदि कोई व्यक्ति झगड़ालू और क्रोधी स्वभाव का है तो उसे पग-पग पर अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। फलस्वरूप उसका जीवन दुखों से परिपूर्ण हो जायेगा।

जरा-जरा सी कठिनाइयों के कारण घबड़ाना छोड़िए। मस्तिष्क को सन्तुलित रखने का अभ्यास करिए। इसमें आपको कुछ प्रयत्न करना पड़ेगा। पहले असफलता भी मिल सकती है, पर सतत् प्रयत्न द्वारा आपका मस्तिष्क अपने आप सन्तुलित रहने लगेगा। क्रोध अधैर्य आदि आपसे दूर हो जायेंगे।


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