समय का एक टाँका, नौ टाँकों की मेहनत बचा लेता है-यह एक अंग्रेजी कहावत है। इसमें जो गूढ़ तथ्य छिपा है उसे भली भाँति जान लेना चाहिये।
यदि वस्तुओं की मरम्मत करानी है तो यथा समय तुरन्त ही करा लेना उचित है। तत्कालीन मरम्मत, चीजों को तुरन्त ठीक करा लेना मानव मस्तिष्क की सुन्दरतम उपज है। वस्तुएँ तथा बीमार मनुष्य खराब होते ही सहानुभूति की अपेक्षा करते हैं। यदि आप अल्प काल के लिए भी रुकेंगे, तो यह हानि, खराबी, या व्याधि शनैः शनैः परिपुष्ट होकर अधिक व्यय और चिंतन की अपेक्षा करेंगे। एक स्पेनिश कहावत है कि-वह व्यक्ति जो एक नाली की मरम्मत नहीं कराता, उसे पूरे मकान की मरम्मत करानी पड़ती है।
यदि आपके दाँत में एक छोटा सा छेद है, तो तुरंत दंत डॉक्टर को दिखा कर उसकी चिकित्सा करा लीजिये और दाँतों को स्थायी रूप से निरोग कीजिये। जितना अधिक आप टालेंगे, उतना ही अधिक भविष्य में परेशानी हो सकती है।
यही हाल मरम्मत का है। आपकी कुर्सी, किवाड़, शीशा, घड़ी, सन्दूक, टाइप की मशीन, सीने की मशीन, साइकिल, यदि जरा भी खराब होते हैं, तो तुरन्त उनकी मरम्मत या तो स्वयं कीजिये, या किसी अन्य व्यक्ति से कराइये। अपनी मशीनों में हर तीसरे दिन तेल दीजिये, जूते पर पालिश कीजिये, टोपी को ब्रश कीजिये, घर की वस्तुओं को, अपने स्वास्थ्य को, सँभालिये।
मरम्मत करने वाले आपको सबसे अधिक धोखा देते और रुपया लेते हैं। जरा सी खराबी के लिए, बहुत दाम लिये जाते हैं। रेडियो, या सीने की मशीनों में तनिक भी खराबी से कार्य बन्द हो जाता है, थोड़ी ही देख-रेख से, मामूली मरम्मत से वे ठीक भी हो जाती हैं। मरम्मत करने वाले मशीनों को रख लेते हैं, और आपके पीछे मामूली सा काम कर आपसे बहुत पैसा लेते हैं। अतः आप अपनी मशीन कई कारीगरों को दिखाइये तत्पश्चात् ठीक कराइये। मामूली मशीनों के पुर्जों को समझ लीजिये, यह मालूम कीजिये कि क्या चीज टूटी या बेकार हुई है? उसका क्या मूल्य है? आपको मरम्मत के नाम पर लूटा तो नहीं जा रहा है।
नित्य प्रति काम में आने वाली अपनी चीजों को सावधानी के साथ बरतिये। उन पर निगाह रखिए कि वे कहीं से बिगड़ तो नहीं रही है। जहाँ बिगाड़ आरंभ हुआ हो वहाँ आरम्भ में ही मरम्मत कर दीजिए। कहते हैं कि जो “टूटे को बनाना और रूठे को मनाना” जानता है वह बुद्धिमान है। अपने हाथ अपनी चीजों की मरम्मत करना सीखिए। यदि दूसरे से ही ठीक कराना पड़े तो ध्यान रखिए कि अनुचित रूप से आपको ठग न ले। एक सुधार करके अन्य बिगाड़ खड़े न कर दे।
“या तो सबसे अच्छा या कुछ नहीं” की नीति अपनाने से काम नहीं चलता। जो लोग बढ़िया आकर्षक और अनुकूल को ही पसंद करते हैं और उससे कम की वस्तुओं को ग्रहण नहीं करते वे जीवन क्षेत्र में प्रायः असफल ही रहते हैं। टूटे को बनाना एक ऐसा काम है जिसमें नाम मात्र की लागत से पर्याप्त मात्रा में लाभ हो जाता है। इसी प्रकार ‘रूठे को मनाना’ एक ऐसी कला है जो शत्रु को मित्र बना देती है और हानि पहुँचाने वाले को लाभदायक सहायक के रूप में परिणत कर देती है।