जीवन रक्षक पदार्थ तथा उनका उपयोग।

January 1950

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संसार में सबसे पहले मनुष्य को अपने जीवन-रक्षण की इच्छा होती है। वह अन्त तक इस विविध विघ्न बाधा संकुल जगत् से जाना नहीं चाहता। अंधा अपाहिज, कैसा ही दीन-हीन व्यक्ति क्यों न हो वह अपने शरीर को नष्ट होने से बचाने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहता है।

अतः उपयोग के पदार्थों में मुख्य स्थान उन पदार्थों का है, जिन पर मनुष्य के प्राण, स्वास्थ्य, और भावी सुख निर्भर हैं। परमेश्वर को धन्यवाद है कि उन्होंने जीवन रक्षक तत्व सस्ते और सर्व सुलभ रक्खें है। गरीब से गरीब इन वस्तुओं को प्राप्त कर सकता है।

यह आवश्यक नहीं कि तुम अमीर हो, तुम्हारे पास रुपयों के ढेर लगे हों, आलीशान कोठी रहने के लिए हो, या बढ़िया रेशम और सिल्क के वस्त्र तुम्हारे शरीर पर हों। पीने के लिए बढ़िया शरबत, सोडा वाटर या मद्य हो। स्मरण रखिये, आपको जल, अन्न, वस्त्र, मकान इत्यादि आवश्यक है किन्तु यह आवश्यक नहीं कि वे सुन्दर, महंगे या आलीशान हों।

सर्वोत्कृष्ट जीवन सरल सादा उच्च विचार और शुभ चिंतन प्रधान होता है। बड़े-2 दार्शनिक, विचारक, आविष्कारक और कलाकार निर्धन होते हुए भी जीवन रक्षक पदार्थों का उचित उपयोग कर जीवन को पूर्ण बना सकते हैं।

प्रथम जीवन रक्षक पदार्थ आपका भोजन है। पौष्टिक भोजन में अधिक व्यय नहीं होता। कीमती चीजें हैं-मिठाई, नमकीन, चाट-पकौड़ी, विविध माँस, हलुवा, पनीर, अंडा, चाय, इत्यादि। क्या जरूरत है कि आपके सुबह के नाश्ते में चाय, बिस्किट या नमकीन-मिठाइयाँ इत्यादि हों, या दोपहर के खाने में दो अचार, मुरब्बे, पापड़, गोश्त, इत्यादि हों। उत्तम पौष्टिक भोजन में आटा, दूध, घृत, तरकारियाँ दाल चावल चाहिए यदि ये चीजें भी महंगी हैं, तो इन्हें फिजूल बरबाद न करें। आवश्यकता के अनुसार उतनी ही पकावें और खरीदें, जितनी चाहिए। बिना खराब किये, ये चीजें सस्ती ही बैठेगी। फल और तरकारियाँ विशेषकर हरी पत्तीदार तरकारियाँ सबसे आवश्यक है। आप सस्ती तरकारियाँ-मेथी, पालक, मूली, शलजम, लीजिये, सस्ते फल खूब खाइये। महंगे फलों के स्थान पर अमरूद, टमाटर, नाशपाती, खीरा, गन्ना, ककड़ी खाइये। सूखे मेवों के स्थान पर सस्ते मेवे, अखरोट, मूँगफली, खोपरा, किशमिश लीजिए।

यदि विवेकपूर्वक आप अपने भोजन का चुनाव करें, तो वह सस्ता और पौष्टिक हो सकता है। स्वाद तथा चटोरी आदतों वाला भोजन त्याग दीजिए। क्रीम, हलुवे तथा होटल की प्लेट लेना छोड़ दीजिये, चाट-पकौड़ी की ओर दृष्टि मत कीजिए।

जीवन रक्षक भोजन के लिए इन चीजों की व्यवस्था कर रखिये-गेहूँ, चावल, पाँच तरह की दालें, अच्छा साफ गुड़, घी या मक्खन, दूध, शाक तरकारियाँ और कुछ सूखे मेवे। मौसम के फल खाया कीजिए। ऊँचे दर्जे के शक्ति उत्पादक पदार्थ में हैं-अखरोट, बदाम, काजू, नारियल, चिरौंजी, पिस्ता, मूंगफली, किशमिश। खजूर, मुनक्का से उत्तम चीनी प्राप्त होती है। मुनक्का, किशमिश, अंजीर से उत्तम लोहा मिलता है।

मिर्च का प्रयोग त्याग दीजिये। यह उत्तेजक और पाचन शक्ति को निर्बल करने वाला मसाला है। यदि आप चाय, सिगरेट, पान, होटल, सिनेमा, चाट, पकौड़ी, मित्रों के साथ चटोरे भोजन छोड़ देंगे, तो रक्षात्मक-भोजन को खरीदने के निमित्त यथेष्ट धन बचा सकेंगे। अभक्ष्य पदार्थ खाकर आप क्यों आत्म हत्या करते हैं, पौष्टिक अन्न लीजिए जिनसे शरीर में बल, उत्साह और स्फूर्ति उत्पन्न होती है, रोग दूर भागते हैं और कार्य शक्ति में वृद्धि होती है। विलास आराम तलबी और मिथ्या दर्प की वस्तुओं से रुपया बचाना आपके विवेक पर निर्भर है।

यदि संभव हो तो जीवन रक्षक पदार्थों की मात्रा अधिक कर दीजिए और अधिक ऊँचे दर्जे की चीजें खरीदिये। साधारण भोजन के स्थान पर दूध घी और ऊँची प्रकार के मेवों से युक्त भोजन लीजिए, फलों की मात्रा में वृद्धि कर दीजिए, दूध दो बार पीजिये। भोजन में दही भी सम्मिलित कर लीजिये। अच्छा अन्न, भिन्न-भिन्न प्रकार की दाल, फल, मेवे खरीदिये।

द्रव्य खर्च करने का उत्तम तरीका यह है कि आपको अपने प्रत्येक पैसे का अधिकतम लाभ, आनन्द, मजा आये, आपका शरीर और आत्मा प्रसन्न हो, आपके बच्चे, पत्नी और स्वयं आप शरीर से पुष्ट रहें। इसके लिए प्रत्येक पैसे का सदुपयोग कीजिए। ऐश, आराम, विलासिता, फैशन, खान-पान में असंयम करना दूरदर्शिता और बुद्धिमानी नहीं है। शराब, गाँजा, चाय, माँस में पैसा व्यय करना अपव्यय है।

मि. काबडेन ने सत्य ही निर्देश किया है- “दुनिया में अमीर गरीब का भेद नहीं है। अमीर गरीब का यथार्थ नाम मितव्ययी और अपव्ययी है। जो विवेकशील बचाने के सिद्धान्त पर विश्वास करते हैं, वे एक न एक दिन अवश्य समृद्ध बन जाएंगे और जिन्हें फूँकने उड़ाने का चस्का है, वे गरीब रहेंगे। खर्च के विषय में सावधान रहने वालों ने मिलें, कारखाने और जहाज बनवाये हैं। एक तुम हो जो शराब पीने, और दूसरी बेवकूफियों में अपने पैसे समाप्त कर देते हो।”

बेवकूफियों से-केवल भोजन ही की नहीं वस्त्र, मकान, मनोरंजन सब की असावधानियों से बचिये। बेवकूफी हमारा सब से प्रधान शत्रु है।


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