अधिक रुपया किस प्रकार कमाया जा सकता है?

January 1950

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अपने जीवन में प्रतिदिन हम अपनी सेवाएं दूसरों को बेचते हैं और बेच कर रुपया पैदा करते हैं। हममें से कोई अपना शरीर, कोई विचार, कोई योजनाएं, शक्तियाँ, उत्साह, प्रेरणाएँ शिक्षाएं-कुछ न कुछ रोज बेच रहे हैं। खरीदार है जनता, जिसे हमारी सेवाओं की आवश्यकता पड़ती रहती है।

खेद का विषय है कि हम अपनी योग्यताओं की वृद्धि नहीं करते इसीलिए हमें समाज में अपनी शक्तियाँ बेचकर रुपया कमाते हुए तकलीफ होती है। हम अच्छे विक्रेता नहीं हैं, न हमारे पास बेचने के लिए अच्छा माल ही है।

हजारों व्यक्ति मेरे पास आते हैं और पूछते हैं-“हम व्यापार करना चाहते हैं, किन्तु हम अच्छे विक्रेता नहीं हैं। हम लोगों से मिल कर उन्हें पटाना और अपनी माल बेचना नहीं जानते।” इन सभी को मेरा उत्तर यह होता है-“यदि आप यह तत्व नहीं जानते तो किसी अनाथालय में चले जाइये क्योंकि आप सम्पूर्ण जीवन यही रोना रोते रहेंगे।” जब तक मनुष्य विक्रेता के गुण, ग्राहक का मनोविज्ञान अच्छी तरह न समझ ले, वह जीवन में रुपया नहीं कमा सकता। विक्रेता के गुणों की हम, आप, सभी को जीवन के प्रत्येक विभाग में आवश्यकता है।

नौकरी कैसे मिले?

यदि आप बेकार है और नौकरी की तलाश में हैं, तो एक काम कीजिये। किसी व्यापारी से नौकरी देने के लिए मिन्नत या खुशामद न कीजिये, विनती कर दूसरे के हृदय में दया उकसा कर आप नौकरी नहीं पा सकेंगे। यदि व्यापारी को किसी आदमी की नितान्त आवश्यकता है और उसे कोई नहीं मिल पा रहा है, तभी वह आपको नौकरी देगा। अतः नौकरी उपहार स्वरूप न लीजिये। अपनी सेवाएं उसे बेचिये जो उसके सबसे अधिक पैसे देता है, उस संस्था की तलाश में रहिये जो आपको अपनी योग्यताओं का ऊँचे से ऊँचा मूल्य चुका सके।

यदि आपकी नौकरी छूट भी जाये, तो भयभीत हो, इधर उधर भीख की तरह नौकरी मत माँगिये। आपके पास अनुभव है। आप उस अनुभव को बेचने के लिए अधीर मत हूजिये। कुछ ठहरिये और सोचिये।

आप यह सोचिये कि आपको अपनी पुरानी नौकरी से क्यों निकाला गया? शायद आप कटौती में आ गये हैं? या आप पुराने पड़ गये? आप समय के साथ अपनी योग्यताएं न बढ़ा सके और पीछे रह गये? जब हमारी मशीन पुरानी हो जाती है, तो हम उसे रद्दी वाले कबाड़ी को बेच देते हैं। हम कहते हैं कि वह खर्चा अधिक करती है, उत्पत्ति उससे कम होती है। संभव है यही बात आपके साथ हो? आप काम उतना नहीं कर पाते, जितना चाहिए। फिर आप अपने को समय के परिस्थिति के अनुसार क्यों नहीं ढाल लेते। आप चाहें तो अपने व्यक्तित्व में कुछ नया ज्ञान, कुछ अनुभव, कुछ शिक्षा प्राप्त कर उसे अप-टू-डेट बना सकते हैं। आप अपनी योग्यता ऐसी ठोस कर सकते हैं कि हर कोई आपकी सेवाएं खरीदने को प्रस्तुत रहेगा।

श्री आर.एफ. ग्रान्ट लिखते हैं-“संसार अवसरों से भरा है। यदि मनुष्य अवसर और परिस्थिति के साथ साथ अपने आप को ढाल ले, या अवसर को अपने पर फिट बैठा ले, तो वह उससे अवश्य लाभ उठा सकता है। हमें अपनी कटु आलोचना खरी और तीखी आलोचना कर व्यक्तित्व की कमजोरियाँ मालूम करने और उन्हें दूर करने का प्रयत्न करना चाहिये।”

संसार में बहुत कम ऐसे निर्भय व्यक्ति हैं, जो अपने दोष देखते, उन पर सोचते विचारते, टीका टिप्पणी करते हैं। आप इन्हीं व्यक्तियों में बनिये। अपनी कमजोरियों को छाँट 2 कर निकाल डालिये। अपने व्यक्तित्व को पुनः निर्मित कीजिये। संक्षेप में, अपनी कमजोरियाँ निकाल कर अपने आप को नवीनतम नमूने का आदमी, नवीन व्यक्तित्व, विचारों और दृष्टिकोण वाला व्यक्ति बना लीजिये। व्यापारियों को ऐसे ही नये नमूने की जरूरत रहती है। इसी के सबसे अधिक पैसे मिलते हैं।

आप व्यापारी बन सकते हैं?

संभव है आत्म परीक्षा द्वारा आपको यह प्रतीत हो कि आपमें एक कुशल व्यापारी के गुण है। उनके विकास के लिए व्यापारियों के यहाँ कुछ दिन मुफ्त काम कीजिये, अनुभव ग्रहण कीजिये। उनके गुर मालूम कीजिये। देखिये कि वे किस सावधानी से एक-एक पैसे का हिसाब रखते हैं, प्रत्येक खर्च पर खूब सोचते विचारते और बही में लिखते हैं। बिना बजट के एक पाई व्यय नहीं करते।

व्यापार में सतर्कता, मितव्ययिता, जागरुकता बड़े आवश्यक गुण हैं। फिजूलखर्ची से या उधार देने से आपका मूलधन भी नष्ट हो सकता है। अपना खर्चा कम से कम रखिये। आपको जो लाभ हो, उसी को व्यय करने का अधिकार आपको है। प्रत्येक ग्राहक को संतुष्ट करना आपका उद्देश्य होना चाहिए। यह सदैव ध्यान रखिये कि आप दूसरे व्यक्ति को कुछ न कुछ सेवा बेच रहे हैं। उसके दृष्टिकोण से तथ्य को देखिये। ग्राहक वहीं जाएगा, जहाँ उसे अधिकतम लाभ होगा।

लोग आपके विषय में बातें करना चाहते हैं। उन्हें बातें करने के लिए कुछ चाहिए। उन पर अच्छा प्रभाव डालिये, सज्जनता, दयालुता, शराफत के विचार एक मुँह से दूसरे, दूसरे से तीसरे पर लगातार फैलते हैं। यह विज्ञापन आपके विषय में अच्छा होता रहे, यह ध्यान रखिये।

मित्रों की संध्या निरन्तर बढ़ाइये। उनके द्वारा आपको आत्म-विज्ञापन में बहुत अधिक सहायता मिलेगी। मित्र आपको आगे ठेलने में सदैव तत्पर रहेंगे।

संसार उसकी सहायता करता है, जो स्वयं सशक्त और सफल हो चुका है। उन्हें उसी की मदद करने में मजा आता है, जो ऊपर है। बाइबिल में एक स्थान पर कहा गया है-“जिसके पास है, उसी को और दिया जायेगा।” जिन्हें कम से कम सहायता की आवश्यकता होती है, उन्हीं की अधिक से अधिक सहायता की जाती है। अतः स्वयं अपनी सहायता से ऊँचा उठिये, संसार आपके पीछे पीछे चलेगा।

विकास के लिए जो तथ्य सब से जरूरी है, वह है, “योजना बनाना” और फिर चाहे कुछ हो उस पर टिके रहना, चट्टान की तरह अड़े रहना। पूर्ण करना अधूरा न छोड़ना। लोग अच्छी योजनाएँ प्रारम्भ करते हैं, पर बीच से ही छोड़ भागते हैं। यह बुरा है इससे सावधान रहिये।

हमारे घरेलू उद्योग धन्धे-

आपका समय आपका धन है। यदि आपके पास बचा हुआ समय है, तो परिश्रम और प्रयत्न से उसे रुपये के रूप में परिणत कर सकते हैं। समय बचाइये, रुपया बच जायेगा। समय बचाने के लिए समय का हिसाब रखना पड़ेगा। जो समय बचेगा, उसका उचित उपयोग करना पड़ेगा तब वही धन बन जायेगा।

मान लीजिये, आपके पास अवकाश है। आप चाहते हैं कि इस समय में कुछ ऐसा कार्य करें जिससे आपको आर्थिक सहायता प्राप्त हो।

इस फालतू समय में आप निम्न कार्य कर सकते हैं-

(1) छोटे-छोटे व्यापार कीजिये। मौसम पर वस्तुओं का संग्रह कर लीजिये, मंडी में भाव की ऊंचाई की प्रतीक्षा कीजिये। भाव ऊँचा होने पर वस्तु बेच दीजिये। अनेक कम पूँजी के बनिये यह व्यापार करते हैं। छोटे पैमाने पर कोई घरेलू धन्धा शुरू कीजिये।

(2) किसी की दुकान पर थोड़े समय की नौकरी कर लीजिए। बिक्री में आप सहायता कर सकते हैं। बड़े शहरों में रात्रि में अनेक दुकानें खुली रहती हैं। इनमें सदैव, अच्छे ईमानदार आदमियों की जरूरत रहती है। इन दुकानों पर आपको काम मिल सकता है।

(3) टाइप का काम सीख लीजिये। इसके लिए थोड़े से परिश्रम और अभ्यास की आवश्यकता है। प्रतिदिन एक दो रुपये रोज कमा सकते हैं।

(4) दवाइयाँ, क्रीम, हेयर आइल, वैसलीन इत्यादि बनाना सीखिये। मंजन, अंजन, अवलेह, घरेलू, दवाइयाँ, तैयार कीजिये इनकी बिक्री अच्छी रहेगी। यह व्यापार बढ़ाया जा सकता है।

(5) फाउन्टेन पेन की रक्षा और दुरुस्ती का व्यापार बहुत व अच्छा और खूब पैसे देने वाला है। इससे अच्छी आमदनी होती है। घर बैठे लोग आयेंगे। फाउन्टेन पेन की स्याही बनाने का कार्य भी सीख लिया जाय तो सोने में सुगन्ध है।

(6) साबुन बनाने में थोड़ी सी मेहनत की आवश्यकता है और अच्छी आमदनी होती है।

(7) फलों के शर्बत, बादाम, पिस्ता इत्यादि के शर्बत बनाना, सोडा लेमन इत्यादि बनाना तरह तरह की रंगाई का काम, गर्म कपड़े धोना सीखिए। बिस्किट बनाना अच्छा घरेलू धन्धा है।

(8) आतिशबाजी और सुगंधित अगरबत्ती का सामान आप घर पर बना सकते हैं। इसके लिए शोरा, गन्धक, कोयला ओर पोटाश की जरूरत है। इसमें लोहा, एल्युमिनियम, मैग्नेशियम, पष्टिमनी, तांबा, जस्ता आदि धातुओं का बुरादा मिलाने से अनार, फुलझड़ी आदि का मिश्रण तैयार होता है। राष्ट्रीय दिवस, रजत महोत्सव, दीपावली पर आतिशबाजी की वस्तुओं की अतीव आवश्यकता होती है। यह आप घर बैठे कर सकते हैं।

(9) मुर्गियों के अंडों का व्यापार साधारण दर्जे के व्यक्ति कर सकते हैं। मुर्गियों के अंडे से चूजे प्राप्त किए जा सकते हैं। जो चाहें, वे इस व्यापार को कर सकते हैं।

(10) थोड़ा स्थान हो तो पपीते के पेड़ लगा कर उनसे कुछ रुपया प्राप्त किया जा सकता है। अन्य फलों की तरकारियों की खेती भी की जा सकती है।

(11) रेडियो, टाइपराइटर, घड़ी या छोटी-2 मशीनों को सुधारने का काम काफी पैसे देने वाला है। पढ़े-लिखे आदमी यह काम कर सकते हैं।

(12) अचार, मुरब्बे, शहद, पापड़ का व्यापार कीजिए।

(13) सोचिये और मालूम कीजिए कि आपके निवास स्थान के आस-पास कौन से हस्त व्यवसाय, घरेलू उद्योग धन्धे, अथवा ग्रामोद्योग चलते हैं? किस उद्योग धन्धे की जानकारी आपके उपयोग में आ सकेगी? खेती, व्यापार, घरेलू उद्योग धन्धे आप कौन-2 से कर सकते हैं? अपने मुख्य कार्य के अतिरिक्त इनमें से किसी न किसी को चुनना चाहिए। सोच समझ कर कुछ न कुछ आमदनी का उपाय आपको निकाल ही लेना चाहिए। यदि आपके पास पूँजी की कमी है, तो नौकरी ही कीजिए। यदि आप लेख, कहानी, कविताएं लिख सकते हैं, तो अच्छे पत्रों में (जैसे, आजकल, सरिता-रानी, उद्यम प्रदीप, नया समाज, प्रवाह) इत्यादि में भेज कर कुछ रुपया कमा सकते हैं।

(14) दो चार मित्र मिलकर एक होटल खोल सकते हैं। आदर्श स्वच्छता आपके होटल का प्रथम गुण होना चाहिए। सर्वसाधारण होटलों में जहाँ ग्राहकों को गन्दगी का मुकाबला करना पड़ता है, आपके होटल में सफाई और मधुर भाषण होना चाहिए। कुछ दिन माल सस्ता देने पर ग्राहक बंध जाते हैं, फिर उनसे अधिक भी लिया जा सकता है। होटल, कैंटीन, तथा जलपान की दुकानों में बड़ा लाभ है।

(15) दवाइयों के स्टोर, किराने के माल की दुकानें भी सहकारी समिति द्वारा खोली जा सकती हैं। अपनी कोई खास विशेषता रखिये। सच्चा हिसाब न रखने और उधार देने से अनेक धन्धे डूब जाते हैं। अमेरिका में दिवाला निकालने वाले वे लोग होते है जो साफ हिसाब रखना नहीं जानते।

(16) जिस पैमाने पर धन्धा चलाने की महत्वाकांक्षा है, उससे आधे प्रमाण पर धन्धा प्रारम्भ कीजिए। बड़े कारखाने छोटे पैमाने पर प्रारम्भ हुए है। जो व्यापार या धन्धा करना हो उसके विषय में अधिक से अधिक ज्ञान पुस्तकें पढ़ कर, और वैसे ही व्यापारियों के साथ रह कर अनुभव प्राप्त कीजिये। जैसे-2 आप का अपने ऊपर विश्वास जमता जाए, वैसे-2 आप उसी धन्धे को चलाने के साधन एकत्रित करते जाइये।

मान लीजिये, आप बाइसिकल की दुकान खोलना चाहते हैं। इसके लिए आप पहिले साइकिल मरम्मत करना सीखिए, किसी दुकान पर उम्मीदवार के रूप में कार्य कीजिए, भिन्न-भिन्न हिस्सों के दाम, फर्मों के पते, भाव इत्यादि मालुम कीजिए। तब दुकान खोलिये। अपने धन्धे के अतिरिक्त और भी दूसरे धन्धा करने वाले व्यापारियों से अपना संबंध बढ़ाइये।

(17) विज्ञापन शास्त्र तथा विक्रय कला से परिचित होना आवश्यक है। विज्ञापन द्वारा लोगों की आँखों में धूल मत डालो। वरन् विश्वास पूर्वक अच्छा खरा माल दो, उनकी कठिनाइयों एवं शिकायतों को प्रेम से सुनो और ग्राहकों को संतुष्ट रक्खो।

(18) स्वतन्त्र धन्धे का स्थान सम्मानपूर्ण और ऊँचा है। अतः यथासंभव अपना कोई धन्धा अपना लो। दुकानदारी में भी काफी बचत होती है।

(19) डेयरी (घी दूध) का धन्धा छोटे स्केल पर किया जा सकता है। सर्वत्र दूध का दुर्भिक्ष पड़ जाने से खालिस दूध की आवश्यकता आज बहुत बढ़ गई है। जिनके पास स्थान है और चारे का प्रबन्ध कर सकते हैं, उन्हें दो भैंसे लेकर यह धन्धा प्रारम्भ करना चाहिए।

(20) अपनी योग्यता किसी विशेष दिशा में निरन्तर बढ़ाते रहिए। योग्यता-रुपया। अधिक योग्यता का अर्थ है-अधिक रुपया। जो योग्यता और अनुभव में बढ़े हुए हैं, उन्हीं को अधिक रुपया प्राप्त होता है।

संसार का कोई भी व्यक्ति आपको बिना परिश्रम, योग्यता की योजना के रुपया प्राप्त करने का उपाय नहीं बतला सकता। फ्रेंक बी. गिलरेट कहते हैं कि “रुपया कमाने के लिए सबसे सफल धनी मानी व्यक्तियों को देखिये, उनकी रीतियों, कार्यों और बनाई हुई चीजों का गंभीर अध्ययन कीजिए।”

वास्तव में यदि हम रुपया प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमें उन व्यक्तियों के कार्य और साधनों का अध्ययन करना चाहिए जो अपने बल और योग्यता से बड़े बने हैं। हमें यह मालुम करना चाहिए कि उनके धन प्राप्त करने का क्या रहस्य है।

जुआ, सट्टा, दाँव-पेंच, रिश्वत किसी को धनी नहीं बना सकते। इनसे अपनी गाँठ का भी जाता रहता है। लॉटरी के टिकट, वर्ग पहेली, भाग्यशाली नम्बर कभी आपकी सहायता नहीं कर सकते। जो फकीर सट्टे के नम्बर बताकर ठगते हैं, वे यदि स्वयं कुछ कर सकते तो अवश्य धनी बन जाते, उनसे सावधान रहिए। नीति का वचन है-“उद्योगिन” पुरुष सिंह मुपैति लक्ष्मीः-“ अर्थात् “उद्योगी पुरुष को ही लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।” उद्योग कीजिए लक्ष्मी आपके पास आयेगी।


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