हमारे प्रमुख घरेलू उद्योग-धन्धे।

January 1950

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

भारत के आर्थिक पुनर्निर्माण हेतु घरेलू उद्योग धन्धों का बड़ा महत्व है। इनसे बेकारी की समस्या सुगमता से हल हो सकती है, उत्पादन शक्ति का स्थानीय तथा प्रादेशिक वितरण सुगमता से हो सकता है और जन साधारण को आर्थिक स्वावलम्बन प्राप्त हो सकता है।

डॉ॰ राधाकमल मुखर्जी ने भारत के घरेलू उद्योग धन्धों के विषय में एक बड़ी महत्वपूर्ण पुस्तक लिखी है। उसी के आधार पर कुछ उपयोगी सामग्री यहाँ प्रस्तुत की जा रही है। इस पुस्तक में भारत के घरेलू उद्योग धन्धों की एक विस्तृत तालिका दी गई है। जैसे कुछ उपयोगी कार्य इस प्रकार हैं।

“कानपुर, प्रयाग तथा बनारस के जिलों में टोकरी बनाना मालाबार तथा दक्षिणी-पूर्वी बंगाल में नारियल की जटा काटना, लालटेन की बत्तियाँ बनाना और चटाइयाँ तैयार करना, आसाम में रेशम के कीड़ों को पालना, यू.पी. में खिलौने बनाने का काम, अमृतसर, बनारस व मिर्जापुर में दरियाँ बुनने का काम, रेशम बुनना, ढाका में शंख की चूड़ियाँ, सीपी के बटन, यू.पी. मिर्जापुर, तथा बंगाल में सुन्दर कलापूर्ण मिट्टी की वस्तुएं बनाना, मद्रास के तिनेवली में लुँगी तथा साड़ियां बनाना, फिरोजाबाद में काँच की चूड़ियों का काम।”

पंजाब में बहुत सी वस्तुएं घर पर तैयार की जाती हैं। मुल्तान और अमृतसर में मोजे, दरियाँ, नाले, होजरी, चर्खा कातना, आसन बनाना, सींकों की सुन्दर टोकरियाँ, शीतल पाटियाँ, खद्दर बुनना इत्यादि तैयार होती हैं। प्रत्येक परिवार को अपनी दिलचस्पी के अनुकूल कुछ न कुछ ढूँढ़ कर प्रारम्भ करना चाहिए।

समस्त घरेलू धन्धों में कपड़े वाला वर्ग महत्वपूर्ण है। रुई काँतकर दरियाँ, इजारबन्द, खद्दर बनाना चाहिए। स्त्रियाँ चाहें, तो घर पर दर्जी का कार्य भी सफलता पूर्वक सम्पन्न कर सकती है। हाथ का कागज बनाना भी अच्छा धन्धा है। जीवन में स्त्रियाँ घर पर अनेक काम किया करती हैं। शिल्पकारी, ऊन के मोजे, बनियान बुनना, बेलबूटे, कढ़ाई, रंगाई का कार्य प्रत्येक प्रतिभा सम्पन्न परिश्रमी स्त्री कर सकती है। अलीगढ़ में तालों, बनारस में बेलबूटों का काम, मुरादाबाद में कलई के बरतनों का काम तेजी से उन्नति कर रहा है। इस सब में सरकार को भी हाथ बटाना उचित है।

दियासलाई और साबुन के छोटे-2 कारखाने घरों पर खोले जा सकते हैं। अन्य छोटी -2 वस्तुएं-मोम की वस्तुएं, कागज के खिलौने, कन्दील, बेलें, फूलों के गुच्छे, बिजली के शेड, कागज की तश्तरियाँ, किरमिच के थैले बनाना, पुस्तकों की जिल्दबन्दी का काम, छापेखाने, पुस्तक प्रकाशन, कागज के लिफाफे बनाना, रद्दी कागज के बड़े लिफाफे मेवा सब्जी और मिठाई के लिए, बढ़ियाँ, पापड़, अचार, मुरब्बे आदि घरेलू धन्धों के लिए सरकार को प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए। हममें से प्रत्येक को अपने परिवार के लिए किसी एक धन्धे को चुन लेना चाहिए।

भारत संसार के सबसे बड़े औद्योगिक देशों में से एक है? केवल 8 प्रतिशत जनसंख्या उनमें लगी हुई है। वाणिज्य के परिमाण का जहाँ तक प्रश्न है, उसमें भारत का स्थान 5वाँ है। निर्मात में कच्चे, माल का परिमाण सबसे अधिक है, जिसमें पाट, रुई, चाय, चमड़ा, और चावल कुल निर्यात का आधा भाग ले लेते हैं। आयात का 75 प्रतिशत मशीनों की बनी हुई चीजों के रूप में आता है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles