प्रेम समुद्र से भी गहरा होता है। जिस प्रकार समुद्र किनारे को सदा स्वच्छ सुन्दर रखता है, उसी प्रकार प्रेम भी हृदय को प्रफुल्लित रखता है।
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दुष्ट के साथ मित्रता व प्रीति कदापि न करनी चाहिए। अंगार जब गरम होता है,तब हाथ को जला देता है, और ठंडा होने पर काले हाथ कर देता है।
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