संसार का काम, इष्टदेव का काम समझ कर करो। इससे वह बन्धन का कारण न बनकर मुक्ति का कारण होगा।
*****
अपनी इंद्रियां ही शत्रु समझी जाती हैं, किन्तु इनको जीत लेने पर, मनुष्य की सब इन्द्रियाँ ही मित्र का काम देने लग जाती हैं
******
जो व्यक्ति विषयों में दिन रात रत रहता है, उसी को बद्ध कहना चाहिये, और जो व्यक्ति विषयों में विरक्त है, वही विमुक्त है।
*****
जिसकी विषयों में अधिक तृष्णा है, उसको दरिद्र कहना चाहिए।
----***----