(श्री रामकिशन जी आर्य, गवालियर)
अध्ययन एक महत्वपूर्ण साधना है जिसके आधार पर मनुष्य आगे बढ़ सकता है। बहुत बार ऐसा हुआ है कि पुस्तकों की सहायता से मनुष्यों ने अपने भाग्यों का निर्माण किया है। पुस्तकों को मनुष्य का सच्चा साथी कहा जा सकता है, बशर्ते कि वे प्रामाणिक सत्पुरुषों की लिखी हुई और सत्पथ का प्रदर्शन करने वाली हों। पुस्तकें विचार एवं प्रेरणा प्रदान करती हैं तदनुसार पढ़ने वाला उस ओर आकर्षित एवं प्रेरित होता है। जिस प्रकार का हम साहित्य पढ़ते हैं, उसी ढांचे में ढलने लगते हैं इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वाध्याय के लिए पुस्तकें चुनने में बहुत सावधानी से काम लेना चाहिए क्योंकि अध्ययन के द्वारा जहाँ मनुष्य स्वर्गीय आनन्द की झाँकी करता है वहाँ नरक का द्वार भी जा खट-खटाता है। इसलिए वही पुस्तकें पढ़नी चाहिए जो हमें प्रतिदिन उन्नति की ओर सत्पथ की ओर अग्रसर करें।
अध्ययन से निःसन्देह मन की दिशा एक दिशा में मुड़ती है। तो भी कोई व्यक्ति केवल अध्ययन मात्र से उच्च पद को प्राप्त नहीं कर सकता। हम स्वास्थ्य के नियमों पर सैकड़ों पुस्तकें पढ़ डालें, उन्हें कंठस्थ कर लें पर जब तक उन नियमों के अनुसार आचरण नहीं करते तब तक कोई लाभ नहीं हो सकता। अध्ययन, विचार, मनन, विश्वास एवं आचरण द्वारा जब एक मार्ग को मजबूती से पकड़ लिया जाता है तो अभीष्ट उद्देश्य को प्राप्त करना बहुत सरल हो जाता है।
हमें अध्ययन शील बनना चाहिए ऊँचा उठाने वाले साहित्य को धीरे-धीरे, चिन्तन और मनन पूर्वक पढ़ना चाहिए। उस अध्ययन में से उपयोगी अंश को दृढ़ता एवं सावधानी के साथ आचरण में उतारना चाहिए। पढ़ने से लेकर करने तक की क्रिया तक पहुँच जाना, सच्चा अध्ययन कहलाता है और उस सच्चे अध्ययन से ही हम ऊँचे उठ सकते हैं।