(डॉ. श्री जटाशंकर नान्दी)
सूर्य की किरणों में रोगों को दूर करने की इतनी अधिक शक्ति है कि उनका वर्णन नहीं हो सकता उनसे त्वचा के छिद्र खुल जाते हैं और शरीर में संचित दूषित पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। अशुद्ध रक्त और रोग नष्ट हुए बिना नहीं रहते। सूर्य-स्नान करते समय निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
(1) सूर्य-स्नान करते समय सिर को भीगे रुमाल अथवा हरे पत्तों से ढ़क लेना चाहिए।
(2) सूर्य-स्नान का सर्वोत्तम समय सूर्योदय काल है। उस समय यदि स्नान का सुयोग न मिले तो फिर सूर्यास्त काल। तेज धूप में न बैठे। इसके लिए प्रातःकाल और सायंकाल की हल्की किरणें ही उत्तम होती हैं।
(3) धूप-स्नान का आरम्भ सावधानी से करें। पहले दिन 15 मिनट स्नान करें। फिर रोज पाँच मिनट बढ़ाते जायं। परन्तु एक घंटे से अधिक नहीं।
(4) जितनी देर स्नान करना हो उसके चार भाग करके पीठ के बल, पेट के बल, दाहिनी करवट और बायीं करवट से धूप लें, जिससे सारे शरीर पर धूप लग सके।
(5) सूर्य-स्नान करते समय शरीर पर लंगोट छोड़कर कोई वस्त्र न रखें।
(6) खुले स्थान में, जहाँ जोर की हवा न आती हो सूर्य-स्नान करें।
(7)भोजन करने के एक घंटे पहले और दो घंटे बाद तक सूर्यस्नान न करें।
(8) सूर्य-स्नान करने के उपरान्त ठंडे पानी में भीगे तौलिये से शरीर का प्रत्येक अंग खूब रगड़ना आवश्यक है।
(9) सूर्य-स्नान के बाद यदि शरीर में फुर्ती, उत्साह आता जान पड़े तो ठीक है। यदि सिर में दर्द तथा अन्य किसी प्रकार का कष्ट जान पड़े तो सूर्य-स्नान का समय कुछ घटा दें।
(10) सदा नियमित रूप से स्नान करें। बीच-2 में नागा करने से लाभ नहीं होता। स्नान का पूरा लाभ रोज नियमित रूप से करने से ही प्राप्त होता है। बालक, वृद्ध, युवा, स्त्री, पुरुष सभी को सूर्य स्नान से लाभ उठाना चाहिए।
वेटिब, डब्लू आर लुकस, जानसन, रोलियर, लुइस, रडोक, टाइरल आदि अनेक डॉक्टरों और अनेक वैद्यों ने सूर्य-स्नान की बहुत-बहुत प्रशंसा की है। महात्मा गाँधी ने कहा है कि प्लेग के विष का सामना करने और हमारे रक्त को शुद्ध करने के लिए रोज सवेरे सूर्य-स्नान करना चाहिए। विदेशों में इस विषय पर नित्य नये ग्रन्थ लिखे जा रहे हैं और हमारे तो पुरातनकाल से ही प्रातः सायं और मध्याह्न संध्या का विधान है। जिसका अर्थ हैं खुले बदन पर सूर्य की बलदायक और आरोग्यप्रद किरणें पड़ने देना। बिल्कुल मुफ्त मिलने वाले सूर्य-किरणों का लाभ उठाकर हमें अपना स्वास्थ सुधारने में चूकना नहीं चाहिए।