सूचनाएं
(1) विगत दो अंकों में मनःशास्त्र के प्रकाण्ड पण्डित डॉ. रामचरणजी महेन्द्र के ‘महान जागरण’ शीर्षक लेख निकलते हैं। यह लेखमाला एक वर्ष में कहीं समाप्त हो पाती, पाठकों को यह अमूल्य सामग्री जल्दी ही मिल जाय यह सोचकर उसे पुस्तकाकार छपा दिया है। उसका नाम ‘महान जागरण’ है।
(2) सन् 1944 के अंत और सन् 1945 के आरम्भ में श्री मंत्र योगी के गायत्री सम्बन्धी कुछ लेख निकले थे, उन लेखों के अतिरिक्त और भी अनेक आवश्यक विषयों का समावेश करके ‘गायत्री की चमत्कारी साधना’ शीर्षक पुस्तक छपा दी गई है।
-मैनेजर ‘अखण्ड ज्योति’ मथुरा।
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