आपका आध्यात्मिक गुरु कौन है?

April 1945

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(लेखक-श्रीयुत महेश वर्मा ‘धुरंधर’)

प्रायः हम सब ही किसी महापुरुष को अपना आदर्श मानते हैं। अपनी व्यक्तिगत विशेषताओं के अनुकूल ही हम अपने हीरो के प्रति आकर्षित होते हैं और उसी को अपना पथ-प्रदर्शक मानते हैं। पूजा में आप अपनी रुचि के अनुकूल ही देवता चुनते हैं। जो गुण आप में हैं उनका विकास बिना उपयुक्त पथ-प्रदर्शक के नहीं हो सकता। एकलव्य को गुरु द्रोणाचार्य की मूर्ति से अद्भुत स्फूर्ति एवं प्रेरणा प्राप्त हुई थी। कोई भी महापुरुष आपको सत् प्रेरणा प्रदान कर सकता है। अपनी रुचि के अनुकूल जिस महापुरुष में- चाहे वह आपके देश का हो अथवा विदेश का-आपकी श्रद्धा हो, चुन लीजिए। उसी प्रकाश स्तंभ को लेकर आप अग्रसर होते रहिये। नित्यप्रति उसकी जीवनी पढ़िये, उसके उत्तम गुणों पर दृष्टि स्थिर कीजिए। उसने जो-जो महत्वपूर्ण कार्य किये उन पर विशद् विवेचन कीजिए।

हमारा मन तभी उत्थान के पथ पर अग्रसर हो सकेगा। जब वह किसी उच्च महापुरुष का आश्रय ग्रहण करे। यदि आपके नगर में कोई सद्पुरुष है तो कुछ समय उनके सत्संग में व्यतीत कीजिए। अपनी रुचि के अनुसार जीवन चरित्र के कुछ पन्नों के अध्ययन का कार्य-क्रम अवश्य रखिए। इन पन्नों में लिखी घटनाओं का प्रभाव आपके अव्यक्त मन पर बहुत पड़ेगा। इनके जीवन के चित्रों से आपको स्वर्ण अवसर प्राप्त करने का अधिक अवसर प्राप्त होगा। आपका हृदय प्रकाश ग्रहण करने के अनुकूल बनेगा। एक-एक शब्द आपके मनः प्रदेश में साहस का प्रादुर्भाव करेगा।

आदर्श विहीन उस नाविक की तरह है जिसने बिना पतवार के गहन तूफान में अपनी नाव खोल दी हो। उसे यह ज्ञान नहीं कि किधर जाना है? लक्ष प्राप्त करने के लिए हमें किसी आध्यात्मिक गुरु की स्थापना अवश्य करनी चाहिए।


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