मनुष्यों! पृथ्वी पर जो भक्ष और पवित्र पदार्थ है, उनमें से ही भोजन करो और शैतान के अनुचर मत बनो, क्योंकि वह तो तुम्हारा प्रत्यक्ष शत्रु है।
-सूर ऐ बकर 1,2,21
दान पर उन भिक्षुकों का अधिकार है, जो अल्लाह के मार्ग में स्थिर हैं और पृथ्वी पर चलने फिरने की शक्ति नहीं रखते। निर्बुद्धि उनके न माँगने के कारण उन्हें घनाढय़ समझते हैं। तू उनको उनकी आकृति से पहिचान। यह लोग चिपट कर नहीं माँगते और जो कुछ भी तुम लोग धन में से दान में व्यय करोगे, अल्लाह को उसका बोध हो जायेगा।
-सूरए बकर ।1।2।30।7
जो असत्य बातों का भेद लेते फिरते हैं, त्याज्य धन का ग्रहण करते हैं। पुनः यदि तेरे समीप आवें तो उन्हें आज्ञा दे, अथवा उनसे मुँह फेर ले और यदि तू मुँह फेर लेगा तो वह तुझको कभी हानि पहुँचा सकेंगे।
-सूरए माइदा 2,6,8
हे पैगम्बर, इन लोगों से कहो, कि देश में भ्रमण करो और फिर देखो, कि झूठ बोलने वालों की क्या गति हुई।
-सूरतुल अनआम् 2,7,2,1
हे विश्वासियों! पुस्तक वालों के अनेकों विद्वान और साधु, मनुष्यों का धन व्यर्थ खाते हैं और अल्लाह के मार्ग से भटके हुए हैं और जो लोग सोना-चाँदी गाढ़ कर रखते हैं, किन्तु अल्लाह के मार्ग में खर्च नहीं करते उनको दारुण दुख के दण्ड का समाचार सुना, कि जिस दिन उन पर दोजख की अग्नि दिखावेंगे, जिससे उनके माथे और करबटों पृष्ट भाग जलाये जायेंगे। अपने निमित्त गाड़ते थे, लो अब उसका स्वाद चखो।
-सूरऐ तौवा 2,10, 5