इस महान अवसर पर आपका क्या कर्तव्य है? इसे जानने में शीघ्रता कीजिये।
यह विश्वास करने के पर्याप्त कारण हैं कि आगामी भविष्य शान्ति, सदाचार और सुव्यवस्था पूर्ण होगा। सतयुग में हमें यह जमीन बदलेगी न आसमान न मनुष्यों की आकृतियाँ बदलेंगी न संसार पदार्थ परिवर्तित हो डडडड का बाह्य रूप सदा ही करीब-करीब एक सा रहता है, उनमें बहुत थोड़ा फर्ज और विश्वासों में अन्तर आ जाता है। प्रेरक शक्ति अन्तःकरण से उत्पन्न होती है भीतरी इच्छा के अनुसार मनुष्य के कार्य होने लगते हैं और जैसी कार्य प्रणाली होती है वैसा ही दुनिया का बाहरी रूप हो जाता है। युग परिवर्तन का अंकुर जन साधारण के हृदय में उत्पन्न होते हैं और दुनिया की कायपलट हो जाती है।
नवयुग निर्माण का कार्य आरम्भ हो गया है।, सच्चिदानन्द प्रभु जन साधारण के हृदय में ऐसे ज्ञान की प्रेरणा कर रहे हैं जिसके आधार पर पशुता को दौड़कर मनुष्य सच्चे अर्थोंमें ‘मनुष्य’ बन सके और पृथ्वी पर सुख शाँति पूर्ण जीवन बिता सके। उसी अदृश्य प्रेरणा के अनुसार कुछ व्यवहारिक ज्ञान और शिक्षा ‘अखण्ड-ज्योति’ कार्यालय की ओर से प्रकाशित हुई है। श्रावण बंदी अमावस्या ता. 1 अगस्त को सतयुग का शुभ मुहूर्त है, ठीक उसी दिन आठ नवीन पुस्तकें हमारे यहाँ से प्रकाशित हो रही हैं। आचार्य श्रीराम शर्मा ने घोर तपश्चर्या के साथ-साथ इन पुस्तकों को लिखा है। यह शिक्षा इतनी सरल, हृदय ग्राहक, दिलचस्प और प्रेरणा शक्ति से परिपूर्ण हैं कि पढ़ने वाले की नाड़ियों में रक्त के साथ-साथ एक नई विधूत प्रभाव दौड़ने लगता है और सतयुगी जीवन बनाने की अदम्य इच्छा उठ खड़ी होती है। पढ़ने वालों को ऐसा प्रतीत होता है मानो हाथ पकड़ कर कोई दिव्य लोक को ओर घसीटे लिए जा रहा है।
सब प्रकार की साँसारिक सुख संपदाएं प्राप्त कराने वाली यह शिक्षा अत्यन्त ही उपादेय है। जीवन को ऊंचा उठाने वाली परलोक में स्वर्ग का आनन्द प्राप्त होने की कल्पना लोग किया करते हैं, यदि आप इसी जीवन में उस आनन्द का उपभोग करना चाहते हैं तो 3) भेजकर यह आठों पुस्तकें मँगा लीजिए। श्रेष्ठ समय का सन्देश सुनिए। सतयुग में आपका क्या कर्तव्य है, उसे पहचानिए इस दिशा में यह आठ पुस्तकें आपका ठीक-ठीक पथ प्रदर्शन करेंगी।
मैनेजर- अखण्ड ज्योति, मथुरा।