(भजन संहिता से)
हे पुत्र! पराई स्त्री के होठों से मधु टपकता है और उसकी बातें तेल से भी अधिक चिकनी होती हैं। पर इसका परिणाम नागदौन सा कड़ुआ और तलवार सा पैना होता है।
क्या यह हो सकता है, कि कोई अपनी छाती पर आग रख ले और उससे कपड़े न जलें। क्या यह हो सकता है, कि कोई अंगारे पर चले और उसके पाँव न जलें। जो पराई स्त्री के पास जाता है, उसकी दशा ऐसी ही है। जो कोई उसको छुएगा सो दण्ड से न बचेगा। हे पुत्र, तेरा मन ऐसी (पराई) स्त्री के मार्ग की ओर न फिरे और न उसके मार्ग पर भटके, क्योंकि बहुत लोग उसके मारे पड़े हैं। उसके घात किये हुओं की एक बड़ी संख्या होगी। उसका घर अधोलोक का मार्ग है। वह मृत्यु के घर में पहुँचता है।
7, 24, 27
वेश्या गहरा गड्ढा ठहरती है और पराई स्त्री का संकेत कुँए के समान है। वह डाकू की नई घात लगाती है और बहुत से मनुष्यों को विश्वासघाती कर देती है।
23, 26, 28
तू पराई स्त्रियाँ देखता रहेगा और उलट फेर की बातें बकता रहेगा, तो तू समुद्र के बीच लेटने वाले या जहाज के मस्तूल के सिर पर सोने वाले के समान रहेगा।
23, 33, 34
हे मेरे पुत्र, अपना बल स्त्रियों को न देना न अपना जीवन उनके वश में कर देना। जो राजाओं का भी पौरुष खो देती हैं।
31, 2,1