मैं किसी काम के परिणाम को देखकर ही उसकी नीति मत्ता निश्चित करता हूँ। यदि असत्य भाषण से अधिक लोगों का कल्याण होता हो तो उस समय सत्य को छिपा रखना मैं अपना कर्त्तव्य समझूँगा।
-लेस्लेस्टीफन,
मेरे झूठ बोलने से यदि प्रभु के सत्य की महिमा बढ़ती हो तो उस झूठ बोलने से मुझे पाप नहीं लगेगा।
-सेण्टपाल,
किसी कर्म की नीतिमत्ता कर्ता के उद्देश्य पर अर्थात् जिस बुद्धि से कार्य करता है, उस पर अवलम्बित रहती है।
-ह्यूम,
बहुतों का बहुत सुख हो, यही बात नीति की दृष्टि से न्याय और ग्राह्य है। इसी आदर्श पर चलना मनुष्य का कर्तव्य है।