धर्म आचरण का फल

April 1943

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

(लेखक-श्री राधा कृष्णजी पाठक, सुपावली)

बात अधिक पुरानी नहीं है सुजान पुर में साधु शरण और मायापति नामक दो भाई अलग-2 रहते थे। साधु शरण बड़े संयमी, सदाचारी और परिश्रमी थे, इसके विपरीत मायापति दुराचारी, अपव्ययी और आलसी था। अपने दुर्व्यसनों में उसने अपने भाग की सारी पैतृक सम्पत्ति को उड़ा डाला। देव योग से साधु शरण अपनी पत्नी और छोटे बच्चे को छोड़कर परलोक वासी हो गये। अब तो मायापति की घात बन आई। उसने भाई की पत्नी और बालक को मार पीटकर घर से निकाल दिया और भाई की सारी सम्पत्ति पर कब्जा कर दिया।

माता घोर परिश्रम करके अपने पुत्र का पालन पोषण करने लगी। बालक बड़ा हुआ। उससे माता की कष्टकर दशा न देखी गई। अपनी नन्ही भुजाओं के बल पर कुछ कमाने की इच्छा से वह घर छोड़ कर बाहर चल दिया। कहते हैं कि सुकर्मी पिता की सन्तान दुख नहीं पाती। बालक पास के रेलवे स्टेशन पर मजदूरी करने पहुँचा। संयोगवश उस स्टेशन पर बम्बई के कोई बड़े सेठ बैठे थे। उन्होंने बालक के शरीर में एक सौम्य आत्मा का अस्तित्व देखा और उसे अपने साथ अच्छी नौकरी पर ले गया। बालक को पिता के सारे सद्गुण विरासत में मिले हुए थे। उसके गुणों ने सेठजी व उनकी पत्नि को पूर्णतः अपना बना लिया। वे निःसन्तान थे, इसलिये इस बालक को ही अपनी विशाल सम्पत्ति का उत्तराधिकारी बना कर स्वर्ग सिधार गये! बालक अपनी माता व पत्नी सहित उस करोड़ों की जायदाद का मालिक बनकर आनन्द पूर्वक जीवन यापन करने लगा।

इधर मायापति ने भाई की सम्पत्ति को भी थोड़े ही दिनों में उड़ा दिया। अन्त में उसे कोढ़ फूट निकला और प्रयाग में गंगा किनारे भिक्षा के दानों पर निर्वाह करने लगा। एक दिन वह बालक प्रयाग गंगा स्नान को गया, वहाँ अपने चचा की यह दुर्दशा देखी तो फूट-2 कर रोया और बहुत सा धन उन्हें निर्वाह के लिये दिया।

बहुत दर्शक उस दृश्य को देखने के लिये जमा थे। उन्होंने प्रत्यक्ष देखा कि धर्म आचरण और अधर्म आचरण का क्या फल होता है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118