जिस तरह छोटे 2 मच्छर बाँस की टहनियों में पानी की बूँद को चलती हुई देखकर उसमें घुस जाते हैं, किन्तु निकलना मुश्किल हो जाता है। उसी तरह संसार की चमक को देखकर अज्ञानी मनुष्य संसार के जाल में तो फंस जाता है। बड़ी सरलता से जाल में चला तो जाता है, परन्तु उसमें घुसने के बाद निकलना मुश्किल होता है।