ईसप की नीति शिक्षा

July 1942

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

(1)

पिता के मरने के बाद उसके भोले किन्तु उदार लड़के को खेती का सारा कारोबार सम्भालना पड़ा। लड़के ने देखा कि अंगूरों के हरे भरे खेतों के किनारे नागफनी के कटीली पौधे लगे हुए हैं। लड़के को यह उचित मालूम न हुआ कि अंगूरों के साथ कँटीली पौधे भी रहें, उसने तुरन्त ही सब नागफनी उखड़वा कर फेंक दी दूसरे दिन से ही जंगली पशु उस खेत में निधड़क आने लगे और एक पखवारा भी न होने पाया था कि सारे खेतों का उजाड़ कर गये। तब लड़के की समझ में आया कि अंगूरों की हिफाजत के लिए नागफनी की भी जरूरत है।

दण्ड की व्यवस्था हुए बिना दुष्टों से रक्षा नहीं हो सकती।

(2)

एक बच्चे ने बिच्छू को जरा सा छू लिया, इस पर बिच्छू ने उसे डंक मार दिया। बालक रोता हुआ अपनी माता के पास पहुँचा और कहने लगा देखो माँ मैन उस बिच्छू को कुछ भी नुकसान न पहुँचाया था, सिर्फ छू भर दिया था। इस पर ही उसने मुझे डंक मार दिया। माता ने कहा तुमने उसे छूकर छोड़ दिया, इसीलिए तो उसने काट ही खाया अगर देखते ही उसे मार डालते तो उसे काटने को मौका न मिलता।

दुष्ट को देखते ही उसका मुँह जला देना चाहिए।

(3)

प्यास के मारे घबराया हुआ एक कबूतर इधर-उधर उड़ रहा था। उसने बाजार में एक दुकान पर ठंडे मीठे शरबत का साइनबोर्ड लगा देखा उसे विश्वास हो गया कि यहाँ मुझे पानी मिल जायेगा। इसलिए वह उस दुकान पर उतरा। अभी वह तख्ते पर बैठने भी न पाया था कि दुकान वाले ने उसे पकड़ लिया और बावर्ची के सुपुर्द कर दिया।

निर्बल की कोई सहायता नहीं करता।

(4)

सृष्टि के आदि में जब सब जीव अपना अपना काम करने लगे तो मधुमक्खियों ने अपने छत्ते में मधु जमा करना आरम्भ किया। उस मधु को देवता लोग बहुत पसंद करते और नित्य छत्ते को निचोड़ ले जाते। मक्खियों के कार्य से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उनसे कहा वर माँगो। मधु मक्खियों ने कहा- भगवान हमें ऐसा डंक दीजिए जिससे मुफ्तखोरों को मजा चखा सकें। और अपनी कमाई की रक्षा कर सकें। ब्रह्मा जी ने उन्हें डंक दे दिया।

सीधे आदमी को हर कोई अनुचित रीति से सताता है।

(5)

एक आदमी को कुत्ते ने काट खाया। एक आदमी ने उसे सलाह दी कि अपने घाव के लहू में भीगी हुई रोटी कुत्तों को खिलाओ तो तुम्हारा घाव अच्छा हो जायगा। यह उपाय सुनकर वह आदमी हंस पड़ा और बोला इस उपाय को करने का मतलब है कि काटने वालों की संख्या और बढ़ाऊं?

जालिम को रिश्वत देकर अपना छुटकारा करने का अर्थ है कि अपने तथा दूसरों के ऊपर अधिक जुल्म कराने का निमन्त्रण देना।

(6)

जाड़ों के दिनों में एक किसान अपने घर लौट रहा था। रास्ते में उसने देखा कि एक साँप ठंड से अकड़ा पड़ा है। किसान को उस दया आई वह उसे उठाकर घर ले आया और आग के पास तपाने के लिये रख दिया। जब साँप की ठंड छूटी और शरीर में गर्मी आई तो वह किसान के बच्चे को काटने लपका।

किसान ने यह कहते हुए उस साँप का मुँह कुचल डाला कि दुष्ट के साथ भलमनसाहत करना बेकार है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles