सभी पाठकों से आवश्यक सूचना

July 1942

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पूर्व सूचना के अनुसार अखण्ड ज्योति का अगस्त का अंक अनुभवाँक होगा। इसमें सुविज्ञ पाठकों के धर्म मार्ग में प्रेरित करने वाले शिक्षाप्रद अनुभव छपने जा रहे हैं। पृष्ठ संख्या बढ़ाया जाना कठिन है तो भी यह अत्यन्त महत्वपूर्ण सामग्री होगी।

सभी पाठको को अपने अनुभव भेजने को निमन्त्रण दिया गया है। तदनुसार अनेक अनुभव बहुत ही ज्ञानवर्धक एवं शिक्षाप्रद आये हैं। परन्तु कितने ही पाठक हमारा तात्पर्य समझने में भूल कर गये हैं। कई ने तो साधु संन्यासियों के चमत्कार वर्णन किये हैं, कई ने अखंड ज्योति अथवा उसके सम्पादक की प्रशंसा भर दी है। कई ने अनुभव के नाम पर अपने सिद्धान्त लिख भेजे हैं। हम इन तीनों बातों में से एक भी नहीं चाहते। वरन् यह चाहते हैं कि व्यवहारिक जीवन में धर्म मार्ग पर चलने से क्या सुविधा होती है? और अधर्म अपनाने से किस प्रकार कष्ट सहना पड़ता है? इसकी पुष्टि में अपने या अपने मित्रो के साथ घटित हुई घटनाओं के संस्मरण भेजें।

जिन पाठको ने उपरोक्त मन्तव्य के विपरीत अनुभव भेजे हो, उन्हें वे अस्वीकृत समझ लें और नये लेख अविलम्ब भेज दें। जहाँ तक सम्भव हो जुलाई के अन्त तक अनुभव आ जाने चाहिए अन्यथा अगस्त के प्रथम सप्ताह तक तो अवश्य ही भेज दें। इसके बाद आये लेख स्वीकार न होंगे।

सम्पादक ‘अखंड ज्योति’ मथुरा


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