कृतज्ञता प्रकाशन

July 1942

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कागज के इस घोर दुष्काल में जब कि एक रिम के लिये चार-चार शहरों में घूमना पड़ता है और चौगुनी-पचगुनी कीमत देने से भी कागज मिलता नहीं। ऐसी दशा में अखंड ज्योति जैसे इसका अनुभव सहृदय पाठक स्वयं कर रहे है, यह देख कर हमें आन्तरिक प्रसन्नता होती है। अखंड ज्योति के ज्ञान यज्ञ का हर पाठक याज्ञिक है। इसलिए उनका कर्तव्य हो जाता है कि इस विपत्तिकाल में एक-एक दो-दो नये ग्राहक बढ़ा कर उस यज्ञ की जीवन रक्षा करें।

निम्न महानुभावों ने अखंड ज्योति की मूक याचना का अन्तःकरण में अनुभव करते हुए इस समय नये ग्राहक बढ़ाने में विशेष सहयोग दिया है। इसके प्रति हम अपनी आन्तरिक कृतज्ञता प्रकट करते हैं। और आशा करते है कि अन्य प्रेमी सज्जन भी इनका अनुकरण करेंगे।

इस मास ग्राहक बढ़ाने तथा आर्थिक सहयोग करने वाले सज्जों की शुभ नामावली

(1) श्री. मंगलचन्द जी भंडारी अजमेर। (2) श्री. मुन्शी राम जी, हिसार। (3) श्री. पी. जगन्नाथ राव नाइडू नागर। (4) श्री. राय साहब नारायण प्रसाद जी हजारी बाग। (5) श्री. लक्ष्मी नारायण जी कमलेश मोदहा। (7) श्री. हरि कृष्ण जी परसराम पुरिया डोमर। (7) श्री. बालगोविंद सी. पटेल अहमदाबाद। (8) श्री. रामरक्षपाल जी आड़तिया, चन्दोसी। (9) श्री. शंकरलाल व्यास महेश, कसराबद। (10) श्री. यैजूदास मिस्त्री सूरज पुरा, मुँगेर। (11) श्री. टा. श्याममनोहर अग्निहोत्री बीजापुर। (12) श्री. हरीरान जी यादव सीहोरा।


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