पूज्यवर के कार्यों के प्रति (Kahani)

June 1991

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कानपुर के एक पूर्ण समय दानी कार्यकर्ता के मझले पुत्र ने एम. टेक. की परीक्षा पास कर इटली जाने की इच्छा व्यक्त की। पूज्य गुरुदेव का आशीर्वाद लेकर चले गए। एक नया उपकरण बनाने का मन था। उसी की डिजाइन जब वहाँ के इंजीनियर्स से माँगी तो उनने दस लाख रुपये की माँग की। पैसा उनके पास था नहीं। होटल वापस लौटकर स्नान कर संध्या वन्दना में कातर भाव से पूज्यवर से प्रार्थना की कि इतनी दूर आकर निराश न लौटना पड़े। रात्रि को पूज्य गुरुदेव के स्वप्न में दर्शन हुए आश्वस्ति मिली। अगले दिन प्रातः वही इंजीनियर जिसने एक दिन पूर्व डिजाइन के लिए पैसों की माँग की थी, होटल आया व उसने फैक्ट्री से जाकर उन्हें ड्राईंग दे दी। पूछने पर कहा कि आपके “गॉड ने मुझे रात भर सोने नहीं दिया। चैन नहीं मिला व वही निर्देश मिला कि बिना राशि लिए उसे वह दे दो जो वह माँग रहा है।” आगे वह बोला कि “आपके भगवान को भारत आकर देखूँगा।” आज वह इंजीनियर कानपुर में एक फैक्ट्री का मालिक है व पूज्यवर के कार्यों के प्रति समर्पित भी।

परम पूज्य गुरुदेव : लीला प्रसंग : 7


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