चंचलता के फेर में (Kahani)

June 1991

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किशोर नेपोलियन जिन दिनों विद्यालय में पढ़ता था। उन दिनों उसे एक किराये के मकान में रहना पड़ता था। उस मकान में एक मनचली लड़की रहती थी जो उससे आये दिन छेड़खानी किया करती पर नेपोलियन उसकी ओर तनिक भी आकर्षित न होता। बेरुखी अपनाता और अपने पढ़ायी के काम में लगा रहता।

बड़ा होने पर वह अनेक मंजिले पार करता हुआ अपने देश का सेनापति बन गया। कुछ दिनों उसे फुरसत भी रही। उसने सोचा बचपन के हित सम्बंधियों से एक दौरा करके मिल लिया जाय। इसी संदर्भ में वह वहाँ भी पहुँचा जहाँ किराये के मकान में रहकर पढ़ा करता था। उस मनचली लड़की की उसे याद थी। पर वह भूल चुकी थी।

नेपोलियन ने उसे महिला से भेंट की और पूछा इसी मकान में बहुत वर्ष पहले एक नेपोलियन नामक लड़का पढ़ता था आपको उसकी स्मृति रही है क्या?

महिला ने स्मृति पर जोर दिया और कहा एक लड़के की धुँधली सी याद तो है जो सदा पुस्तकों में आँखें गड़ाये रहता था और किसी से सीधे मुँह बात भी नहीं करता था। रूखे स्वभाव का था वह।

नेपोलियन ने अपना परिचय देते हुए कहा वह बेरुखा लड़का मैं ही हूँ। यदि उस समय मैं भी चंचलता के फेर में पड़ गया होता तो आज अपने देश का प्रधान सेनापति न हो पाता।

परम पूज्य गुरुदेव लीला प्रसंग : 1


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