(1) अधिकांश ग्राहकों का चन्दा दिसम्बर अंक के साथ पूरा हो जाता है। इन पंक्तियों से चन्दा समाप्ति की सूचना और नये वर्ष का चन्दा 12) भेजने का अनुरोध समझना चाहिए।
(2) इस महंगाई के जमाने में उतने ही अंक छापे जाते हैं जितने ग्राहक होते हैं। इसलिए अपना तथा अन्य साथियों का चन्दा यथा सम्भव जल्दी ही भिजवाना चाहिए ताकि उसी हिसाब से अंक छापे जायें।
(3) जिनका चन्दा बीच के किसी महीने समाप्त होता है उन्हें सन् 76 के शेष महीनों का चन्दा 1) प्रति अंक के हिसाब से भेजकर जनवरी से दिसम्बर वाला क्रम बना लेना चाहिए। वही हर दृष्टि से सुविधाजनक रहता है।
(4) उधार का क्रम अब चल सकना किसी भी प्रकार सम्भव नहीं। जिन्हें जितनी पत्रिकाएं मंगानी हों नकद ही मंगानी चाहिए।
गत वर्षों में उधार में बड़ी राशि डूब जाने से तिलमिला देने वाला आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है।
(5) मनीआर्डर अक्सर बहुत देर में मिलते हैं इसलिए पोस्टल आर्डर या बैंक ड्राफ्ट से पैसा भेजना अधिक सुविधाजनक रहता है।
(6) फुटकर अंक अक्सर रास्ते में खोते रहते हैं और ग्राहकों को न पहुँचने की शिकायत करनी पड़ती है। इस झंझट से बचने के लिए यह तरीका अच्छा है कि जहाँ 20 से अधिक प्रतियाँ जाती हैं वहाँ एक ही व्यक्ति के नाम से रजिस्ट्री से सारे अंक मंगा लिए जायें और उन्हें आपस में बाँट लिया जाये।
(7) सभी सदस्यों को अपने पते के साथ पिनकोड नम्बर अवश्य लिखना चाहिए उससे डाक वितरण में सुविधा और शीघ्रता होती है।
(8) ग्राहकों को अपना पूरा नाम, पता हिन्दी या अंग्रेजी में स्पष्ट अक्षरों में लिखना चाहिए। साथ ही यह भी लिख देना चाहिए कि वे नये ग्राहक हैं या पुराने। पुराने ग्राहकों को अपना ग्राहक नम्बर भी लिखना चाहिए।
(9) ग्राहक बनाने के लिए टोली बनाकर यदि प्रभावशाली परिजन निकलें तो पुरानों से चन्दा वसूल करने और कुछ नये बनाने का अभियान बहुत सफल हो सकता है। इस वर्ष इस दिशा में प्रत्येक सदस्य को विशेष रूप से प्रयत्न करना चाहिए और इस प्रयोजन के लिए चन्दा वसूल करने की छपी रसीद बहियाँ अखण्ड ज्योति संस्थान मथुरा से मंगा लेनी चाहिएं।
(10) बसन्त पर्व अपने मिशन का जन्म दिन है। उस अवसर पर श्रेष्ठतम श्रद्धांजलि अखण्ड ज्योति के अधिकाधिक सदस्य बढ़ाने के रूप में दी जानी चाहिए। इस संदर्भ में आगे बढ़ने की हम सबको परस्पर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए।
(11) पत्रिका न पहुँचने की शिकायत उसी मास की बीस तारीख के तुरन्त बाद मथुरा भेज देनी चाहिए अन्यथा पत्रिका समाप्त होने पर दुबारा पत्रिका भेजने में कठिनाई होती है।
(12) युग - निर्माण पत्रिकाओं का चन्दा एवं युग-निर्माण साहित्य सम्बन्धी पत्र - व्यवहार युग-निर्माण योजना के पते से करना चाहिए। अखण्ड ज्योति एवं गायत्री साहित्य सम्बन्धी धनराशि अखण्ड ज्योति संस्थान के पते से भेजना चाहिए। दोनों स्थान दूर - दूर होने से एक साथ डाक आने में असुविधा होती है और अनावश्यक विलम्ब होता है।
- व्यवस्थापक