जब कभी असहाय तुम अनुभव करोगे।
तब हमारा स्नेह- ममता साथ होगा॥
आर्त स्वर में जब कभी कुछ भी कहोगे।
घाव पर मरहम लगाता हाथ होगा॥
कष्ट या कठिनाइयों से तुम न डरना।
धार या मझधार से संघर्ष करना॥
जीत होगी जिन्दगी की हर डगर में।
लोकहित में तुम नवल उत्साह भरना॥
पुत्र तुम ‘‘मैं हूँ अकेला’’जब कहोगे।
माँ पिता का कवच भी तब साथ होगा॥
पुत्र तुम मजबूत कन्धे हो हमारे।
अंग अवयव हो तुम्हीं दो नयन तारे॥
भार तुम पर आज दोनों सौंपते हैं।
पूर्णतः निश्चिन्त तुम सबके सहारे॥
कार्य जब उत्साह से पूरा करोगे।
प्यार आशीर्वाद देता हाथ होगा॥
आखिरी निःश्वास तक रक्षा करेंगे।
खून की हर बूँद तक आशीष देंगे॥
यह मधुर सम्बन्ध जन्मों तक निभेगा।
सूक्ष्म में रहकर तुम्हें वरदान देंगे॥
आखिरी इच्छा है दो दर्शन कहोगे।
ब्रह्म का नव रूप साया साथ होगा॥