गीत संजीवनी-5

तुझमें ॐ मुझमें ॐ

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तुझमें ॐ मुझमें ॐ सबमें ॐ समाया।
सबसे करलो प्यार जगत में कोई नहीं पराया॥

जितने है संसार में प्राणी सबमें एक ही ज्योति।
एक बाग के फूल हैं सारे एक माला के मोती॥
फिर न जाने किस मूरख ने, लड़ना हमें सिखाया।
तुझमें ॐ मुझमें ॐ...........॥

एक पिता के बच्चे हैं हम एक हमारी माता।
दाना पानी देने वाला एक हमारा दाता॥
एक ही कारीगर ने हमको एक मिट्टी से बनाया।
तुझमें ॐ मुझमें ॐ...........॥

ऊँच- नीच की, भेद- भाव की, दीवारों को तोड़ो।
बदलो आप तो, बदले ज़माना, बुरी आदतें छोड़ो॥
जागो और जगाओ सबको समय सुहाना आया।
तुझमें ॐ मुझमें ॐ...........॥

मुक्तक-

ॐ जगत का सृजन करता, ॐ जगत का पालनहार।
ॐ शब्द में विश्व समाया, करे ॐ सबका उद्धार॥
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